बाल दिवस पर विशेष
अनीता वर्मा
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज में हुआ था। उन्हें बच्चों से विशेष स्नेह था, बच्चें भी उनको चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे इसीलिए इस दिन को भारत में बालदिवस के रुप में मनाया जाता है।
इस दिन को नेहरू जयन्ती कहें या बालदिवस, यह दिन पुर्णतया बच्चों के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से बच्चों के लिए कार्यक्रम व खेल कूद से जुड़े आयोजन होते हैं। बच्चें देश का भविष्य होते हैं, वह कच्ची मिटटी के समान होते हैं उनको जैसे ढाला जाये वो ढल जाते हैं। इसके लिए जरुरी हैं बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दें ताकि वो अच्छे नागरिक बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे सके।
परिवार ही बच्चे की प्रथम पाठशाला होती हैं, सबसे महत्वपूर्ण हैं अपने बच्चे को समझना और उसके नजरिये से चीजों को देखना। अपने बच्चों से उनके काम, दोस्तों आदि के बारे में हमेशा बात करते रहे ,जब आप उनके नजरिये से चीजों को देखेंगे तभी उनकी भाषा में उनको समझा पायेंगे।
आज का बचपन वीडियो गेम, कम्प्यूटर, मोबाइल, आन लाइन गेम्स के बीच व्यतीत हो रहा हैं।अभिभावकों को भी लगता हैं इनके बिना बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पायेगा। पारंपरिक खेलों से हमने और हमारे बड़ों ने जो सीखा समझा हैं वह अत्याधुनिक खेलों के बस की बात ही नहीं हैं।
आउटडोर गेम्स से बच्चों के मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी होता हैं बच्चों स्वस्थ भी रहते हैं।
बालदिवस पर बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण ,खेलकूद आदि के बारे में जानकारी देनी चाहिए साथ ही इन विषयों पर प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं जिससे बच्चों का सम्पूर्ण विकास हो।
बच्चों को सही शिक्षा, पोषण और संस्कार मिले, यह देश हित के लिए बेहद अहम हैं क्योंकि आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं।
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