भगवान कार्तिकेय के अवतरण दिवस पर विशेष

निरंजनी अखाड़े के इष्ट देव है भगवान कार्तिकेय (अनीता वर्मा) 


    दक्षिण भारत के साथ विश्व के अन्य देशों में भी होती हैं भगवान कार्तिकेय जी की पूजा। 


कार्तिकेय जी का जन्म-
पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ,  इसलिये इस दिन स्कन्द यानि कार्तिकेय भगवान की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। 
भगवान स्कन्द यानि कार्तिकेय जी को समर्पित अत्यधिक प्रसिद्ध मंदिर भी दक्षिण भारत के तमिलनाडु में ही स्थित है। कार्तिकेय जी को तमिल देवता भी कहकर सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू धर्म के अलावा यजीदी धर्म  के लोग भी शिवपुत्र कार्तिकेय जी की आराधना करते हैं। इन्हें दक्षिण भारत में मुरुगन देवता के रुप में पूजा जाता हैं। विश्व के अन्य देशों जैसे  श्री लंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी कार्तिकेय जी को इष्टदेव के रूप में स्वीकार किया गया है। इनका विवाह इन्द्र की पुत्री देवसेना और वल्ली के साथ हुआ। 
धरती पर तारकासुर नामक दैत्य का आतंक था, उसने देवताओं को भी पराजित कर दिया था। तारकासुर को यह वरदान प्राप्त था कि शिव और पार्वती जी की संतान ही उसका विनाश कर सकती हैं, शिव और पार्वती जी के विवाह के पश्चात कार्तिकेय जी का जन्म हुआ। जिन्होंने तारकासुर का वध किया। 
कार्तिकेय जी को महासेन, शरजन्मा, षडानन, पार्वतीनन्दन, स्कन्द, सेनानी, अग्निभू, शक्तिश्वर, कुमार, विशाख आदि नामों से पुकारा जाता हैं। 
भगवान कार्तिकेय जी छः बालकों के रुप में जन्में थे, तथा इनकी देखभाल कृतिका( सप्त ऋषि कीपत्नीययों) ने की थी, इसलिये इन्हें कार्तिकेय धातृ भी कहते हैं।


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