भौतिकवाद से लौटता समाज


  • _भौतिकवाद से लौटता समाज 


(अनीता वर्मा )


🍁#समय_का_चक्र_घूमता_है,_
_मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक_
        _और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना,_


_अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर_
       _और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना,_


_फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर_
          _और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना,_


_सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना_


_ज़्यादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना_
        _और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना,_


_क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर_
        _और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना,_


_पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर_
         _और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना,_


_बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना_
        _और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....._


_गाँव, जंगल,   से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से_
      _फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना_


_इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने  जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था .._
_आओ उसका आदर करें...😊


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