ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने चौंसठ योगिनी मंदिर को आधार मनाकर दिल्ली के संसद भवन का निर्माण करवाया था। जिसकी चर्चा ना तो किताबों में कहीं है और ना ही संसद की वेबसाइट पर है। मंदिर न केवल बाहर से संसद भवन से मिलता जुलता है बल्कि अंदर भी कंभों का वैसा ही ढ़ांचा है।
स्थानीय निवासी भी मानते हैं कि यह मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां आज भी रात में रुकने की इजाजत नहीं है, ना तो इंसानों को और ना ही पंक्षी को। तंत्र साधना के लिए मशहूर इस मंदिर में शिव की योगनियों को जागृत किया जाता था।
सभी चौसठ योगिनी माता आदिशक्ति काली का अवतार हैं। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए मां काली ने यह अवतार लिए थे। इन देवियों में दस महाविघाएं और सिद्ध विघाओं की भी गणना की जाती है। ये सभी योगिनी तंत्र तथा योग विघा से संबंध रखती हैं।
चौसठ योगिन मंदिर को एक जमाने में तांत्रिक यूनिवर्सिटी कहलाता था। कभी इस मंदिर तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था। विदेश नागरिक भी यहां तंत्र-मंत्र की विघाएं हासिल करने आते थे। आज भी कुछ तांत्रिक, सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यज्ञ करते हैं। यहां इस मंदिर को इकंतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
साभार NBT Religion
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