गजल
चाक जिगर को सीकर देखो
दर्दों को अपनाकर देखो।।
जीवन क्या है समझाती है।
उस पगली से मिलकर देखो।।
घाव तुम्हारे भर जाएंगे।
दर्द पराये गाकर देखो।।
जाहिद-वाहिद सब झूठे हैं।
मैखाने में आकर देखो।।
दुख-सुख सिक्के के दो पहलू।
दिल को ये समझाकर देखो।।
खूब रकीबों से मिलते हो।
मेरे घर भी आकर देखो।।
दुनिया तुमको अपनाएगी।
दुनिया को ठुकराकर देखो।।
उड़ते-उड़ते उड़ जाओगे।
पर अपने फैलाकर देखो।।
दर्द हवा सब हो जाएंगे।
हमको पास बिठाकर देखो।।
लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
दर्द गढ़वाली
बडोनी भवन, देवपुरम कालोनी
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