एल आई सी


  • जनता का विश्वास है एल आई सी की ताकत 



विश्वसनीयता बनाए तो सरकारी कंपनी भी प्रॉफिट देने वाली हो सकती है...जैसे कि एलआईसी!


परसों मैं इंदौर गया। महानगर संयोजक विकास मिश्रा जी मुझे लेने आए। वे एलआईसी में ऑफिसर हैं। बस स्टैंड से उनके साथ जाते हुए मैंने उनसे पूछा "आजकल सरकार बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों को बेचने में लगी है, क्योंकि वह आमतौर पर घाटे में चलते हैं, जैसे एयर इंडिया। एलआईसी की क्या कहानी है?
 विकास मिश्रा जी बोले "नहीं भाई साहब! एलआईसी तो बहुत अच्छे प्रॉफिट में है~प्रति वर्ष ₹48000 हजार करोड़। 1,30,000 डायरेक्ट कर्मचारी हैं और 12लाख एजेंट। यानी वह 13:30 लाख लोगों के रोजगार का प्रमुख साधन है। 2003 के बाद प्राइवेट कंपनियां आने के बाद भी 82% इंश्योरेंस का मार्केट शेयर अब भी एलआईसी के पास है।
 मैंने पूछा "कारण क्या है?" तो उन्होंने कहा "इसके नियम और प्रक्रिया तो अच्छी बनी ही,पर शुरू से ही परंपरा, ईमानदारी की और लोगों के विश्वास जीतने की डाली गई
लोगों का प्राइवेट कंपनियों पर इतना विश्वास नहीं,जितना एलआईसी पर है। इसरो, अमूल जैसा ही भारत का सबसे बड़ा सफल प्रकल्प है एलआईसी।


सरकार और नीति निर्माताओं को इस बारे में सोचना चाहिए।केवल प्राइवेटाइजेशन ही हल है, यह सोच ठीक नहीं।
नीचे:उज्जैन में मालवा प्रातं की बैठक में महिला कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत व पंजाब मे बटाला स्वःजाःमंच द्वारा चायनीज डोर के विरुद्ध जनजागरण किया गया।
~ #सतीशकुमार


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