गजल

गजल
याद उनकी दिला गया मौसम।
दिल मेरा फिर दुखा गया मौसम।।


ख्वाब फिर से सजा गया मौसम।
दो किनारे मिला गया मौसम।।


किस तरह रात अब के गुजरेगी।
अब के इतना डरा गया मौसम।।


होंठ पर था निशां जो होंठों का।
वो निशां भी उठा गया मौसम।।


है तबाही का हर तरफ आलम।
हाथ किससे मिला गया मौसम।।


अब के सावन भी वो नहीं आया।
तिश्नगी फिर बढ़ा गया मौसम।।


आंख में ख्वाब भी नहीं अब के।
नींद मेरी उड़ा गया मौसम।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून 
09455485094 


Ghazal
Yaad unki dila gaya Mausam.
Dil ko mere dukha gaya Mausam.


Khwab fir se saza gaya Mausam.
Do kinare mila gaya Mausam.


Kis tareh raat abke gujregi.
Abke etna dara gaya Mausam.


Honth par tha nishan jo honthon ka.
Wo nishan bhi mita gaya Mausam.


Hai tabhahi ka har taraf aalam.
Haath kisse mila gaya Mausam.


Abke sawan bhi wo nahin aaya.
Tishnagi fir badha gaya Mausam.


Aankh mein khwab bhi nahin abke.
Neend meri uda gaya Mausam.
dard garhwali, dehradun 
09455485094


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