गजल(दर्द गढ़वाली)

गजल
रोज तुम वादा करो हो।
फिर मुकर जाया करो हो।।


यार तुमसे क्या शिकायत।
जो करो अच्छा करो हो।।


तीर सा गड़ जाए दिल में ।
इस तरह देखा करो हो।।


दो घड़ी तो प्यार कर लो।
वक्त क्यों जाया करो हो।।


फूल लब से हैं बरसते।
आप जब बोला करो हो।।


रात जैसा लग रहा दिन।
जुल्फ यूं खोला करो हो।।


मन में है जो बोल देते।
लफ्ज क्यों तोला करो हो।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 


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