गजल
यार उस सा हमें जब मिला ही नहीं।
इश्क हमको दुबारा हुआ ही नहीं।।
आप क्यों उठ गए बज्म से क्या हुआ।
दिल हमारा अभी तो भरा ही नहीं।।
शाम ही शाम है जिस तरफ देखिए।
सुब्ह का कुछ यहां तो पता ही नहीं।।
अश्क बहते मुसलसल रहे आंख से।
कुछ किसी ने किसी से कहा ही नहीं।।
लोग सब तो यहां देवता हो गए।
आदमी का कहीं कुछ पता ही नहीं।।
मंजिलें बस कदम दो कदम दूर थी।
पांव लेकिन हमारा उठा ही नहीं।।
बस जिए जा रहे अनमने से सभी।
बात क्या है कोई बोलता ही नहीं।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
Ghazal
Yaar us sa hamein jab mila hi nahin.
Eshk hamko dubara huaa hi nahin.
Aap kyon uth gaye bazm se kya huaa.
Dil hamara abhi to bhara hi nahin.
Shaam hi shaam hai jis taraf dekhiye.
Subha ka kuchh yahan to pata hi nahin.
Ashk bahte musalsal rahe aankh se.
kuchh kisi ne kisi se kaha hi nahin.
Log sab to yahan devta ho gaye.
Aadmi ka kahin kuchh pata hi nahin.
Manzilen bas kadam do kadam door thee.
Paanw lekin hamara utha hi nahin.
Bus hiye ja rahe anmane se sabhi.
Baat kya hai koyee bolta hi nahin.
dard garhwali, dehradun
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