गजल
दुन्या से गर घबराओगे।
तुम जीते जी मर जाओगे।।
कब तक खुद को दुख दोगे तुम।
कब तक दुख से कतराओगे।।
पास हमारे बैठो भी कुछ।
हमसे मिलकर इतराओगे।।
बात हमारी मानोगे तो।
हर महफिल में छा जाओगे।।
हमसे अनबन करके इक दिन।
तुम भी देखो पछताओगे।।
दर्द गढ़वाली,देहरादून
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