किशोरी जी का बेटा
इस कथा को जरूर पढे आप पर राधै रानी की कृपा बरसेगी और ईश्वर के प्रति मन में श्रद्धा भाव उत्पन्न होगा
केतकी का पति और केतकी ठाकुर जी और किशोरी जी को बहुत मानते थे और उनकी कृपा से उनके घर जुड़वा लड़कों ने जन्म लिया ।जुड़वा बच्चों को पाकर केतकी और उसका पति अत्यंत प्रसन्न हुए ।जब दोनों बच्चे 1 साल के हुए तो वे दोनों को माथा टेकाने के लिए बरसाना धाम को जाने के लिए तैयार हुए। केतकी का पति बहुत ही धन संपन्न व्यक्ति था ।ठाकुर जी के नाम के साथ साथ उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी। जिस गाड़ी से उन्होंने बरसाना धाम को जाना था वह गाड़ी अचानक से काफी विलंब से चलनी थी। केतकी ने कहा कि अब हम घर नहीं जाएंगे हमको तो जाना ही जाना है तो केतकी के पति ने वहां पर कोई दूसरी गाड़ी जो कि वातानुकूलित( ए:सी) नहीं थी। उसमें बैठ गए । रात का समय था केतकी और उसका पति उस गाड़ी में बैठकर बरसाना धाम को चल पड़े । केतकी अपने बच्चों को लेकर बैठी हुई थी पास ही एक साधु महात्मा भी बरसाना धाम को जा रहे थे। जब रात को सब सो गए तो केतकी का एक बालक जो कि घुटनों के बल चलना शुरू हो गया था ना जाने वह नींद में घुटनों के बल चलकर कब उस साधु महात्मा की झोले में जाकर सो गया ।महात्मा को भी नहीं पता था कि कब बालक आकर उसके झोले में सो गया है ।और इसके बारे में केतकी को भी कुछ पता ना चला। ना ही उसके पति को पता चला ।जब सुबह हुई बरसाना धाम आने वाला था तो साधु महात्मा उतर गए ।लेकिन जब केतकी उतरने लगी तो उसने देखा उसका एक बालक नहीं है तो वह बहुत घबरा गई उसने अपने पति को कहा हमारे दो बालकों में से एक बालक कहां गया ।तो उसका पति भी बहुत घबरा गया। घबराहट के कारण वे इधर-उधर भागने लगे ।अपने बच्चे को खोजने लगे लेकिन उनको अपना बच्चा कहीं ना मिला। केतकी का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया।वे रो रो कर कह रही थी किशोरी जी ठाकुर जी हम तो आप के दर्शन करने आए थे अपने बालकों को आपके यहां माथा टिकाने आए थे लेकिन यह क्या मेरे दोनों बालकों में से एक बालक कहां चला गया ।केतकी अपने बच्चे के वियोग में बार-बार मूर्छित हो जा रही थी उसका पति कभी बच्चे को संभालता तो कभी केतकी को। केतकी जब भी होश में आती अपने बच्चे के बारे में पूछती लेकिन उसका बच्चा बहुत ढूंढने के बाद भी ना मिला। किशोरी जी की जो इच्छा थी उसका पलना तो कहीं और लिखा हुआ था ।तो केतकी निराश होकर अपने पति से बोली कि मैं अब दर्शन करने नहीं जाऊंगी जब तक मेरा बालक नहीं मिलता तब तक मैं किशोरी जू और ठाकुर जी के दर्शन नहीं करूंगी ।उसके पति ने उसको बहुत समझाया लेकिन केतकी की ऐसी दुर्दशा देखकर वह भी उसको ज्यादा ना कह सका ।और वापिस रोते बिलखते घर को आ गए। और उधर जब महात्मा ने बरसाना धाम जाकर जब अपने झोले को खोल कर देखा तो उसमे एक बालक को देखकर वह हैरान हो गए कि यह मेरे झोले में बालक कहां से आ गया।वह इधर उधर बाहर निकल कर देखने लग गए लेकिन उस बालक के माता पिता के बारे में कुछ पता ना चला। अब थक हार कर महात्मा ने उसको किशोरी जी का बालक समझकर अपने पास ही रख लिया। वह महात्मा किशोरी जी का अत्यंत भक्त था वह हर रोज लाडली जू के मंदिर की खूब सेवा किया करता था वहां किशोरी जी के वस्त्रों को व्यवस्थित करता किशोरी जू के मंदिर की बुहारी करता और साथ-साथ में बालक को भी ले जाता और धीरे-धीरे बालक में भी उस साधु के संस्कार आने शुरू हो गए ।सब काम करने के बाद वह बालक और महात्मा मधुकरी मांग कर अपना पेट भरते ।अब धीरे-धीरे बालक बड़ा होने लगा ।अब किशोरी जू की सेवा करते उसको किशोरी जी की हर अदा के बारे में पता चल गया था ।कि कब किशोरी जू प्रसन्न है ।किशोरी जू को आज कौन सा वस्त्र धारण करने का मन कर रहा है कौन सा भोजन पाने का मन कर रहा है। उसको किशोरी जी के हाव भाव से पता चल जाता था तो वह गुसाई जी को बोलता किशोरी जी को आज यह भोजन का भोग लगाए ,यह वस्त्र धारण कराए । गुसांईं जी उसका सब कहना मानते थे और उसको किशोरी जू का बेटा कहते थे । अब वह बालक 12 वर्ष का हो चुका था ।केतकी अब तक अपने बेटे को ना भूल पाई थी । और ना ही वह कभी उसके बाद लाडली जू के दर्शन करने को गई थी। 1 दिन केतकी के पति को बरसाना धाम के पास ही किसी काम में जाना था तो वह वहां पर गया तो उसकी बहुत इच्छा हुई कि आज किशोरी जी का दर्शन किया जाए। केतकी को बिना बताए ही वह किशोरी जू के दर्शन करने को चला गया ।जब वह वहां पर लाडली जू के दर्शन कर रहा था तभी उसे वहां पर एक बालक दिखाई दिया उसको लगा कि इस बालक को मैंने कहीं देखा हुआ है क्योंकि जुड़वा होने के कारण उसके बेटे की शक्ल उस लड़के से मिलती-जुलती थी। उस लड़के को इतनी लगन से किशोरी जी की सेवा करते देखकर केतकी का पति अंदर ही अंदर बहुत प्रसन्न हो रहा था कि इस लड़के में किशोरी जू के प्रति कितनी श्रद्धा है कितने अच्छे संस्कार इसके माता-पिता ने इस बालक को दिए हैं। तभी वहां पर वही महात्मा आ कर उस बालक को आकर बोला चलो बेटा मधुकरी का समय हो गया है चलो मांग कर लाते हैं ।तो केतकी के पति ने देखा कि क्या यह लड़का इस साधु महात्मा का बेटा है तो जाकर उस साधु महात्मा को बोला, बाबा क्या यह आपका बालक है आपने इसको कितने अच्छे संस्कार दिए हैं। तो बाबा ने केतकीे के पति को झुक कर राधे राधे कहा और कहा कि मैं इसका पिता नहीं हूं इसके माता-पिता तो किशोरी जू और लाल जू है मै तो सिर्फ इसका नाम का बाबा हूं। इसको किशोरी जू ने मेरी झोली में डाला था तो केतकी का पति बोला मैं कुछ समझा नहीं। महात्मा जी बोले कि मैं लाडली जू के प्रांगण में खड़ा हूं इसलिए झूठ नहीं बोलूंगा। उसने बताया कि कैसे उसको बालक गाड़ी में से उसके झोले में मिला था ।केतकी का पति यह सुनकर हैरान हो गया उसने महात्मा जी को कहा आप कृपा सब कुछ विस्तार से बताए ।बाबा ने बताया कि आज से 12 साल पहले कैसे यह बालक उसको मिला था ।तब यह बालक 1 साल का था ।यह बात सुनकर केतकी का पति काफी देर चुप रहा उसको कुछ सूझ नहीं रहा था वह कभी बालक को देखता कभी साधु महात्मा को देखता और कभी किशोरी जी की तरफ देखता ।कि यह कैसी लीला है ।किशोरी जी एक दिन ऐसा था कि आपने हमारा बालक हमसे छीन लिया था और आज इतने वर्षों बाद इस रूप में मेरा बालक मेरे सामने आएगा यह तो मैंने सोचा भी नहीं था तो उसने बाबा को बताया कि उस समय मैं और मेरी पत्नी उस गाड़ी में सफर कर रहे थे तभी हमारा भी एक बालक गुम हो गया था तब से मेरी पत्नी का बहुत बुरा हाल है। महात्मा ने कहा ये किशोरी जी की लीला है किसको कहां पलना है यह तो वही जाने ।तो केतकी का पति झोली फैला कर उस बाबा के चरणों में पड़ गया और कहने लगा कृपा मेरा बालक मुझे वापस दे दो बाबा। मेरी पत्नी का इसका इंतजार करते करते बहुत बुरा हाल हो गया है ।तो महात्मा ने कहा यह मेरा बालक नही है यह तो किशोरी जी का बच्चा है आप लाडली जू से आज्ञा लेकर इसको ले जा सकते हैं। उस बालक को जब पता चला कि मैं इस महात्मा का नहीं बल्कि जो व्यक्ति सामने खड़ा है उनका बालक हूँ उसको तो विश्वास ही नही हुआ जब महात्मा ने उसको दुबारा कहा कि यह तुम्हारे पिताजी हैं आज से तुम उसके साथ रहोगे तो वह एकदम से अपनी जगह से थोड़ा पीछे हटता हुआ बोला नहीं-नहीं बाबा मैं लाडली जू और आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। लेकिन महात्मा ने कहा कि बेटा तुम्हारी जन्म देने वाली माता तुम्हारा इंतजार कर रही है । उस बालक को महात्मा ने इतने अच्छे संस्कार दिए थे कि वह अपने पिताजी की और माता की व्यथा को सुनकर उसका मन पसीजा गया । किशोरी जी की आज्ञा लेकर अपने पिता के साथ अपने घर को चला गया ।अपने खोए बेटे को अपने सामने पाया तो केतकी को विश्वास ही नहीं हो रहा था ।जब उसके पति ने उसको विश्वास दिलाया कि हमारा ही बेटा है ।कैसे वह महात्मा के झोले में चला गया था ।तो फिर केतकी ने अपने बेटे को बहुत प्यार किया। अब उसका बेटा वही रहने लग पड़ा ।लेकिन उसका मन तो किशोरी जी के चरणों में लगा हुआ था उसका यहां पर रहना बहुत मुश्किल हो रहा था । उसको महात्मा बाबा और किशोरी जी की बहुत याद आ रही थी। लेकिन वह अपने माता-पिता को भी दुखी नहीं करना चाहता था। अब उसके पिता ने उसको पढ़ने के लिए स्कूल में दाखिल करवा दिया। लेकिन पढ़ाई में उसका बिल्कुल ध्यान नहीं लगता था। जब भी वह कभी अपनी कॉपी किताबों को खोलता तो उसको बस किशोरी जी और ठाकुर जी की कभी नृत्य करते नजर आते हो कभी निकुंज में विहार करते नजर आते ।तो वह अपनी किताबो को देख देख कर आंसू बहाता रहता लेकिन किसी को पता ना लगने देता ।परीक्षा के दिनों में जब भी वह परीक्षा देता तो उसको कुछ ना समझ आता कि वह क्या लिख रहा है उसको तो बस हर जगह किशोरी जी ही नज़र आते ।उसकी आंखों में आंसू बहते जाते आंसुओं से ना जाने क्या लिखा जाता कि वह हर कक्षा में पास हो जाता ।अपने माता-पिता के घर आने के बावजूद भी वह अपने कमरे में नियम से सुबह 4:00 बजे उठकर किशोरी जी का ध्यान करता और मानसिक रूप से किशोरी जू के प्रांगण की सोहनी सेवा करता किशोरी जी के वस्त्रों को व्यवस्थित करके रखता, किशोरी जू को स्नान करवाता ,किशोरी जू को नए वस्त्र धारण करवाता उनकी इत्र सेवा करता, इत्र सेवा करने के बाद उसके हाथों पर लगा हुआ इत्र वह अपने वस्त्रों से पोंछ लेता था ।वह किशोरी जी की मानसिक रूप से सेवा करता लेकिन जब उसका ध्यान टूटता तो सचमुच उसके वस्त्रों में से किशोरी जू के इत्र की सुगंध आ रही होती थी लेकिन उसने कभी भी इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था । उसके माता-पिता उसको कई बार पूछते कि बेटा तुम्हारे वस्त्रों में कैसी सुगंध आती है । लेकिन वह मौन रहता कुछ ना बोलता ।केतकी अपने दोनों बेटों को पाकर बहुत खुश थी अब वह चाहती थी कि वह जाकर किशोरी जी का धन्यवाद करके आए ।एक दिन उसने अपने पति को बोला कि चलो बरसाना धाम को चलते हैं तो उसके पति ने जल्दी से हामी भर दी । केतकी अपने दोनों बेटों को लेकर बरसाना धाम को गई। बरसाना धाम पहुंचने पर जब वह निज महल में पहुंचे तो वहां के गुसाईं भागे भागे उस लड़के के पास आए और बोले लल्ला जब से तुम गए हो किशोरी जी के मुख पर अजीब सी उदासी थी लेकिन आज तुम्हारे आते ही देखो किशोरी जी का चेहरा कितनी अच्छी मुस्कान कर रहा है आज तो किशोरी जी को प्रसन्न देखकर लाल जू भी कितने प्रसन्न है। तभी वहां पर महात्मा जी भी आ गए और उस बालक को अपने गले लगा कर बोले अरे बेटा जब से तुम गए हो तब से किशोरी जू रोज मेरे सपनों में आती है और मुझे रोज ताना देती है कि मेरे बालक को कहां भेज दिया। यह सुनकर केतकी और उसका पति एकदम से हैरान हो गए ।तभी गुसाईं जी ने उस बालक को बताया कि जो तुम रोज सेवा करते थे ,ना जाने किशोरी जू की वह सेवा हर रोज कैसे अपने आप हीे हो जाती थी। उनके कपड़े हमें बिल्कुल सही ढंग से व्यवस्थित रूप में पड़े मिलते थे। उनके कपड़े धुले हुए मिलते थे। ना जाने तुम्हारी कमी कौन पूरा कर जाता था।वह बालक एकदम से हैरान हो गया कि क्या मेरी मानसिक रूप से की गई सेवा भी किशोरी जू ने स्वीकार की।केतकी और उसके पति ने देखा कि वास्तव में आज किशोरी जी व लाल जू अति प्रसन्न मुद्रा में उसके बेटे को निहार रहे हैं तो ऐसे लग रहा था जैसे वह बाहें फैलाकर उसको गले लगाना चाहते हैं। किशोरी जू की ऐसी ममता अपने बेटे के प्रति देखकर केतकी की आंखों में अश्रु धारा बहने लगी।वह कहने लगी मैं कितनी सौभाग्यशाली हूं कि मेरे बेटे को किशोरी जी ने अपनाया है। मेरा बेटा जो मेरे पास केवल 1 साल रहा तो मेरा उसके बगैर रो रो कर बुरा हाल था लेकिन यह तो किशोरी जी के पास 12 साल रहा है किशोरी जी तो उसकी मां बन चुकी थी तो किशोरी जू को भी इस बालक की याद आती होगी। उसने किशोरी जी के चरणों में जाकर उनसे क्षमा मांगी और कहा हे लाडली जू मुझे क्षमा कर दो यह मेरा पुत्र नहीं यह आपका ही पुत्र है। आज से यह आपकी सेवा में रहेगा ।आप ही इसकी माता है ।बस अपनी कृपा दृष्टि हम सब पर बनाए रखना। मैं धन्य हूं जो मेरे लाल को आपने अपना लाला माना ।और उसको इतने अच्छे संस्कार मिले। आज किशोरी जी के प्रांगण में एक अजीब तरह की धूम थी शायद किशोरी जू को अपना पुत्र वापस प्राप्ति की खुशी थी ।आज हर तरह से राधे राधे का जाप हो रहा था। आज केतकी भी खुश थी वह बालक भी खुश था लाडली जू भी खुश थी और चारों तरफ खुशी का माहोल था ।
जय हो मेरी ममतामयी करुणामयी लाडली जू सरकार की 😘
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