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2019 की सबसे शानदार कविता*
एक अकेला पार्थ खडा है
*भारत वर्ष बचाने को।*
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
*केवल उसे हराने को।।*
भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने
*माया जाल बिछाया है।*
भ्रष्टाचारी जितने कुनबे
*सबने हाथ मिलाया है।।*
समर भयंकर होने वाला
*आज दिखाईं देता है।*
राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों
*ओर सुनाई देता है।।*
फेंक रहें हैं सारे पांसे
*जनता को भरमाने को।*
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
*केवल उसे हराने को।।*
चीन और नापाक चाहते
*भारत में अंधकार बढ़े।*
हो कमजोर वहां की सत्ता
*अपना फिर अधिकार बढे।।*
आतंकवादी संगठनों का
*दुर्योधन को साथ मिंला।*
भारत के जितने बैरी हैं
*सबका उसको हाथ मिला।।*
सारे जयचंद ताक में बैठे
*केवल उसे मिटाने को।*
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
*केवल उसे हराने को।*
भोर का सूरज निकल चुका है
*अंधकार घबराया है।।*
कान्हा ने अपनी लीला में
*सबको आज फंसाया है।*
कौरव की सेना हारेगी
*जनता साथ निभायेगी।*
अर्जुन की सेना बनकर के
*नइया पार लगायेगी।*
ये महाभारत फिर होगा
*हाहाकार मचाने को।*
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
*केवल उसे हराने को।।*
भारत माता की जय (डा0 एस के कुलश्रेष्ठ के सौजन्य से)
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