गजल प्यार जताना हुआ मुश्किल
उससे प्यार हमको तो जताना भी हुआ मुश्किल।
उसपे जान ये अपनी बचाना भी हुआ मुश्किल।।
नफरत की हवा कैसी चली है शहर में मेरे।
अब इस शहर में मिलना मिलाना भी हुआ मुश्किल।।
मिलने की कभी उससे बड़ी हसरत हमें थी, प।
अब ऐसे मिले दामन छुड़ाना भी हुआ मुश्किल।।
दुनिया की नजर हमपे गड़ी है हम कहीं जाएं।
उसको तो गली में अब बुलाना भी हुआ मुश्किल।।
ऐसा जख्म मुझको यार मेरा दे गया यारब।
ऐसा जख्म के मरहम लगाना भी हुआ मुश्किल।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
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