मेरा देश लूट का सामान नहीं है
*“ख़फ़ा होते हैं हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं*
*जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं , इनका मान थोड़ी है*
*ये कान्हा राम की धरती, सजदा करना ही होगा*
*मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है*
*मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी*
*जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है*
*मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से*
*बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है*
*जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा*
*मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ?*
*बहुत लूटा फिरंगी ने कभी बाबर के पूतों ने*
*ये मेरा घर है मेरी ज़ान, मुफ्त की सराय थोड़ी है...*
*बिरले मिलते है सच्चे मुसलमान दुनिया में*
*हर कोई अब्दुल हमीद और कलाम थोड़ी है ।।*
*कुछ तो अपने भी शामिल है वतन तोड़ने में*
*अब ये कन्हैया और रविश मुसलमान थोड़ी है ।*
*नही शामिल है तुम्हारा खून इस मिट्टी में,*
*ये तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है ।।*
*🚩जय श्री राम🚩*
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