राम मंदिर विध्वंस


  1. तुलसी दास ने भी किया है राम मंदिर तोड़ने का वर्णन 


अगर श्री राम का मंदिर तोड़ा गया  तो इसका जिक्र तुलसीदास ने क्यों नहीं किया...????
  प्रश्न वाजिब है!. वास्तव में  मुझे भी सोचने पर मजबूर कर दिया था  उस बन्दे ने...
खैर तलाश, रिसर्च प्रारम्भ हुआ और सबूत मिल भी गया....
पढ़ें  *_तुलसीदास जी ने भी  बाबरी मस्जिद  का  उल्लेख किया है!_*
सच ये है  कि  कई लोग  तुलसीदास जी की सभी रचनाओं से अनभिज्ञ हैं  और अज्ञानतावश ऐसी बातें करते हैं l 
वस्तुतः  रामचरित मानस के अलावा  तुलसीदास जी ने  कई अन्य ग्रंथो की भी रचना की है . 


@तुलसीदास जी ने  तुलसी_शतक  में  इस घंटना का विस्तार से विवरण भी दिया है .


हमारे वामपंथी विचारकों  तथा इतिहासकारों ने  ये भ्रम की स्थिति उत्पन्न की ,  कि रामचरितमानस में  ऐसी कोई घटना का वर्णन नहीं है . 
श्री नित्यानंद मिश्रा ने  जिज्ञासु के एक पत्र व्यवहार में  _*"तुलसी  दोहा  शतक "*_  का अर्थ इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया है |  हमने भी  उन अर्थों को  आप तक पहुंचने का प्रयास किया है | 
प्रत्येक दोहे का अर्थ  उनके नीचे दिया गया है ,  ध्यान से पढ़ें |


*(1)  _मन्त्र  उपनिषद  ब्राह्मनहुँ  बहु  पुरान  इतिहास ।_*
*_जवन  जराये  रोष  भरि  करि  तुलसी  परिहास ॥_*


श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि क्रोध से ओतप्रोत यवनों ने बहुत सारे मन्त्र (संहिता), उपनिषद, ब्राह्मणग्रन्थों (जो वेद के अंग होते हैं) तथा पुराण और इतिहास सम्बन्धी ग्रन्थों का उपहास करते हुये उन्हें जला दिया ।


*(2)  _सिखा  सूत्र  से  हीन  करि  बल  ते  हिन्दू  लोग ।_*
*_भमरि  भगाये  देश  ते  तुलसी  कठिन  कुजोग ॥_*


श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि ताकत से हिंदुओं की शिखा (चोटी) और यग्योपवीत से रहित करके उनको गृहविहीन कर अपने पैतृक देश से भगा दिया ।


*(3)  _बाबर  बर्बर  आइके  कर  लीन्हे  करवाल ।_*
*_हने  पचारि  पचारि  जन  तुलसी  काल  कराल ॥_*


श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि हाँथ में तलवार लिये हुये बर्बर बाबर आया और लोगों को ललकार ललकार कर हत्या की । यह समय अत्यन्त भीषण था ।


*(4)  _सम्बत  सर  वसु  बान  नभ  ग्रीष्म  ऋतु  अनुमानि ।_*
*_तुलसी  अवधहिं  जड़  जवन  अनरथ  किये  अनखानि ॥_*


(इस दोहा में ज्योतिषीय काल गणना में अंक दायें से बाईं ओर लिखे जाते थे, सर (शर) = 5, वसु = 8, बान (बाण) = 5, नभ = 1 अर्थात विक्रम सम्वत 1585 और विक्रम सम्वत में से 57 वर्ष घटा देने से ईस्वी सन 1528 आता है ।)
श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि सम्वत् 1585 विक्रमी (सन 1528 ई) अनुमानतः ग्रीष्मकाल में जड़ यवनों अवध में वर्णनातीत अनर्थ किये । (वर्णन न करने योग्य) ।


*(5)   _राम  जनम  महि  मंदरहिं ,  तोरि  मसीत  बनाय ।_*
*_जवहिं  बहुत  हिन्दू  हते ,  तुलसी  कीन्ही  हाय ॥_*


जन्मभूमि का मन्दिर नष्ट करके, उन्होंने एक मस्जिद बनाई । साथ ही तेज गति उन्होंने बहुत से हिंदुओं की हत्या की । इसे सोचकर तुलसीदास शोकाकुल हुये ।


*(6)  _दल्यो  मीरबाकी  अवध  मन्दिर  रामसमाज ।_*
*_तुलसी  रोवत  ह्रदय  हति  त्राहि  त्राहि  रघुराज ॥_*


मीर बाकी ने मन्दिर तथा रामसमाज (राम दरबार की मूर्तियों) को नष्ट किया । राम से रक्षा की याचना करते हुए विदीर्ण ह्रदय तुलसी रोये ।


*(7)   _राम  जनम  मन्दिर  जहाँ  तसत  अवध  के  बीच ।_*
*_तुलसी  रची  मसीत  तहँ  मीरबाकी  खाल  नीच ॥_*


तुलसीदास जी कहते हैं कि अयोध्या के मध्य जहाँ राममन्दिर था वहाँ नीच मीर बाकी ने मस्जिद बनाई ।


*(8)  _रामायन  घरि  घट  जँह ,  श्रुति  पुरान  उपखान ।_*
*_तुलसी  जवन  अजान  तँह ,  कइयों  कुरान  अज़ान ॥_*


श्री तुलसीदास जी कहते हैं  कि जहाँ रामायण, श्रुति, वेद, पुराण से सम्बंधित प्रवचन होते थे,  घण्टे, घड़ियाल बजते थे,  वहाँ अज्ञानी यवनों की कुरआन और अज़ान होने लगे।


अब यह स्पष्ट हो गया  कि गोस्वामी तुलसीदास जी की  इस रचना में  जन्मभूमि विध्वंस का विस्तृत रूप से वर्णन किया किया 
है!


यह लेख  मुझे एक ग्रुप में आया है, आप लोग भी पढ़िये  और आगे  प्रचार  भी करिए। 


*_सभी से  विनम्र निवेदन है  कि  सभी देशवासियों को   अपने  सभ्यता के  स्वर्णिम   युग के  गौरवशाली  अतीत  के  बारे में बताइये..._*   
🕉 🌹 🕉 एस के कुलश्रेष्ठ


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