🌷स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज को शत् शत् नमन (पवन कुमार आर्य मिर्ज़ा पुर)
*स्वामी श्रद्धानंद की जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाए*🌷
#23_दिसम्बर
श्रद्धानंद बलिदान दिवस
🎯 *स्वामी दयानंद के कारण धर्म पर विश्वास लोटा:-*
काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट सिर्फ रीवा की रानी के लिए खोलने और साधारण जनता के लिए बंद किए जाने व एक पादरी के व्यभिचार का दृश्य देखकर मुंशीराम जी का धर्म से विश्वास उठ गया था और वे बुरी संगत में पड़ गए थे। किन्तु स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ बरेली में हुए सत्संग ने उन्हें जीवन का अनमोल आनंद दिया, जिसे उन्होंने सारे संसार को वितरित किया।
*मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानन्द तक का सफ़र पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायी है।* स्वामी दयानंद सरस्वती से हुई एक भेंट और पत्नी के पतिव्रत धर्म तथा निश्छल निष्कपट प्रेम व सेवा भाव ने उनके जीवन को क्या से क्या बना दिया। समाज सुधारक के रूप में उनके जीवन का अवलोकन करें तो पाते हैं कि *उन्होंने प्रबल विरोध के बावजूद स्त्री शिक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभाई।*
🎯 *गुरूकुल बनाने की प्रेरणा:-*
स्वयं की बेटी अमृत कला को जब उन्होंने *'ईस-ईसा बोल, तेरा क्या लगेगा मोल'* गाते सुना तो घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा कर *'गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय' की स्थापना हरिद्वार में कर* अपने बेटे हरीश्चंद्र और इंद्र को सबसे पहले भर्ती करवाया। स्वामी जी का विचार था कि जिस समाज और देश में शिक्षक स्वयं चरित्रवान नहीं होते उसकी दशा अच्छी हो ही नहीं सकती। उनका कहना था कि *हमारे यहां शिक्षक हैं, प्रोफ़ेसर हैं, प्रधानाचार्य हैं, उस्ताद हैं, मौलवी हैं, पर आचार्य नहीं हैं। आचार्य अर्थात् आचारवान व्यक्ति की महती आवश्यकता है।*
🎯 *शुद्धि आंदोलन:-*
स्वामी श्रद्धानन्द ने जब कांग्रेस के कुछ प्रमुख नेताओं को "मुस्लिम तुष्टीकरण की घातक नीति" अपनाते देखा तो उन्हें लगा कि यह नीति आगे चलकर राष्ट्र के लिए विघटनकारी सिद्ध होगी। इसके बाद कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया। दूसरी ओर कट्टरपंथी मुस्लिम तथा ईसाई हिन्दुओं का मतान्तरण कराने में लगे हुए थे। *स्वामी जी ने असंख्य व्यक्तियों को आर्य समाज के माध्यम से पुन: वैदिक धर्म में दीक्षित कराया।* उनने गैर-हिन्दुओं को पुनः अपने मूल धर्म में लाने के लिये शुद्धि नामक आन्दोलन चलाया और बहुत से लोगों को पुनः हिन्दू धर्म में दीक्षित किया। स्वामी श्रद्धानन्द पक्के आर्यसमाज के सदस्य थे, तब भी पौराणिक मत वाले पंडित मदनमोहन मालवीय तथा पुरी के शंकराचार्य स्वामी भारतीकृष्ण तीर्थ को गुरुकुल में आमंत्रित कर छात्रों के बीच उनका प्रवचन कराया था।
🎯 *हत्या:-*
23 दिसम्बर 1926 को नया बाजार स्थित उनके निवास स्थान पर *अब्दुल रशीद नामक एक उन्मादी* धर्म-चर्चा के बहाने उनके कक्ष में प्रवेश करके गोली मारकर इस महान विभूति की हत्या कर दी। उसे बाद में फांसी की सजा हुई।
इस तरह धर्म, देश, संस्कृति, शिक्षा और दलितों का उत्थान करने वाला यह युगधर्मी महापुरुष सदा के लिए अमर हो गया।
उनके जीवन पर बनी रोमांचकारी फिल्म अवश्य देखें- https://m.youtube.com/watch?v=wJyidZTD4Qk
अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद धर्म रक्षा के कार्यों में सदा हमारे प्रेरणा स्त्रोत बने रहेंगे।उन्हे शत शत् शत् नमन।
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