💐🌿🌷🌿🌷🌿🌷🌿🌷🌿🌷
✍🏻 वर्तमान समय में युवा पीढ़ी मूर्खतापूर्ण भेड चाल चलते हैं और जाने-अनजाने में वीर शहिदों का या भारतीय संप्रभुता का अपमान करते हैं इसलिए मैं पवन आर्य एक कविता लिख रहा हूँ और मुझे पुरी आशा है कि आपकी सोच में सकरात्मक परिवर्तन होगा...
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
---वीर रस---
विडंबना
देखों ऋषियों के बच्चों के घर कैसे आज सभ्यता शर्मसार हैं,
जो हुआ करते थे चाणक्य वो आज केवल मुर्खता का प्रचार हैं,
_____________________________________
यह बडे भोले हैं मेरे हिन्दू, यह बिता वक्त भुल जातें हैं,
जिन्होंने दिए केवल घाव,यह उनका नया साल मनाते हैं,
जिन्होंने इनके पुर्वजों को गिन-गिन कर के काटा था,
जिनकी नीति ने इनके वतन को दो हिस्सों में बाटा था,
जिन चोरों ने भारत को दोनों हाथों से लुटा था,
जिनके कारण शेर उद्धम सिंह का गुस्सा फुटा था,
यह मुर्ख मदमस्त होकर अपनी मुर्खता को दर्शाते हैं,
यह भुल गए वीर शहिदों को, अंग्रेजों की औलाद कहलाते हैं,
जिन्होंने सोने की चिडिया के पंखों पर आग लगाईं थीं,
जिन्होंने जलियांवाला मे देशभक्तों पर गोलियां बरसाईं थीं,
जिन्होंने भारतीय सभ्यता को मिटने की कगार पर छोडा था,
जिन्होंने मेरे आर्यावर्त की रिड की हड्डी को बेशर्मी से तोडा था,
यह अपनी अज्ञानता के आगे लाचार हो जाते हैं,
भुल स्वाभिमान को यह अंग्रेजी भुत बन जाते हैं,
जिन्होंने वीर सावरकर को वर्षों तक घानी का बैल बनाया था,
जिन्होंने लाला लाजपतराय को लाठियां मारकर मरवाया था,
जिन्होंने चन्द्रशेखर आजाद के बालपन में कोडा मरवाया था,
जिन्होंने आर्यवीर रामप्रसाद बिस्मिल को धोखे से मरवाया,
जो करें शहीदों का सम्मान वो नया साल हरगिज नहीं मनाते हैं,
जो होते हैं कुछ अंग्रेजी भांड वो जरूर हेप्पी न्यू ईयर चिल्लाते हैं
जिनका तुम नया साल मनाते हो उन्होंने भारत में दो सो वर्ष हाहाकार मचाया था,
मैं कैसे मनालूं नया साल उनका जिन्होंने मेरे भगत सिंह को फासी पे लटकाया था।
मैं पवन आर्य कहता तुमसे अब तो थोड़ा मनन कर लेना जी,
मेरा नववर्ष चेत्र में आता हैं मुझे नये साल की शुभकामनाएं मत देना जी,
🖋आर्य पवन
🌲🍁🌲🍁🌲🍁🌲🍁🌲🍁🌲
No comments:
Post a Comment