- #रोचक_जानकारी अद्भुत हैं भारतीय काल गणना
पृथ्वी को सूर्य की एक #परिक्रमा पूर्ण करने में 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट और 46 सेकेण्ड लगते है।
इस अंतर को समाप्त करने के लिए #ईसाइयों के वर्तमान calendar में 4 वर्षों के अंतराल में #लीप वर्ष मनाकर उसमें 1 दिन बढ़ाया जाता है।
लेकिन इसप्रकार 6 वर्षों में 44 #मिनट अतिरिक्त पकड़े जाते हैं, जिसका ध्यान इस calendar के निर्माताओं ने नहीं रखा है।
इस कारण से यह क्रम इसी प्रकार चलता रहा तो 1000 वर्षों के बाद लगभग 8 दिन अतिरिक्त पकड़ने होंगे।
और
लगभग 10,000 वर्षों के बाद लगभग 78 #दिन अतिरिक्त पकड़ लिए गए होंगे। इसका सीधा-सीधा अर्थ यह है की दस हज़ार वर्षों के बाद 1st Jan. #शीत ऋतु की जगह #वसंत ऋतु में होली के आसपास आएगी। यह सीधा-सादा गणित है।
परंतु लाखों वर्षों से चली आ रही हमारी #रामनवमी आज भी वसंत ऋतु में ही आती है, दशहरा व दिवाली शरद ऋतु में ही आते है।
क्योंकि हमारे पुरखे #खगोल और #गणित में भी बहुत ही निपुण थे। अत: उन्होंने इस गणित व खगोल विज्ञान के आधार पर ही हज़ारों वर्षों में आनेवाले #ग्रहणों का स्थान, दिन तथा समय भी exact लिख रखा है। इसलिए आग्रह है की कई बार बदली ईसाइयों की दक़ियानूसी वाली कालगणना छोड़िए तथा स्वाभिमान के साथ अपने पुरखों की वैज्ञानिक #कालगणना अपनाइए जो अक्षरश: अचूक व बेजोड़ है।
अनीता वर्मा
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