- हरिद्वार की पहचान हुआ करता था भाटिया भवन
श्रवण नाथ नगर मे गंगा तट पर स्थित भाटिया भवन आजादी से पहले की ही बनी हुई भव्य इमारत है जो हरिद्वार की पहचान हुआ करती थी, पाकिस्तानी के नार्थवेस्ट फ्रंटियर प्रोविनस के डेरा स्माईल खाँ के रहने वाले दानवीर, धर्ममूर्ती सेठ नन्दू राम, प्यारे लाल भाटिया की पावन स्मृति में उनके बेटे राय बहादुर जेठा चंद और सेठ फतह राम ने1930 के लगभग इस विशाल भवन का निर्माण करवाया था जो उस समय की भव्य इमारतो में शामिल हुआ करती थी, भाटिया भवन का दशकों तक संचालन और प्रबंधन करने वाले उस समय के प्रसिद्ध समाजसेवी और नगर पालिका हरिद्वार के सदस्य रहे स्व0 सूरज प्रकाश त्रिखा ने भाटिया भवन को सजाने सँवारने में अपना सारा जीवन लगा दिया जिसका परिणाम यह रहा कि भाटिया भवन की प्रसिद्धि समाजसेवी और धार्मिक संस्था के रूप में बढती गई, स्व0 सूरज प्रकाश त्रिखा के सबसे बड़े बटे और वर्तमान में भाटिया भवन ट्रस्ट की ओर से नियुक्त प्रबंधक ओरियंटल बैक आफ कामर्स से रिटायरड सीनियर मैनेजर के सी त्रिखा बताते है कि पिता जी स्व0 सूरज प्रकाश त्रिखा के सेवाभाव और रायबहादुर जेठा चंद और फतह राम के प्रति निष्ठावान और समर्पण भाव के कारण उनके पुत्रो ने भाटिया भवन की देखरेख हमारे परिवार को ही सौप दी और आज भी हमारे परिजन भाटिया भवन का प्रबंधन कर रहे हैं। के सी त्रिखा ने बताया कि भाटिया भवन तीन हिस्सों में बँटा हुआ विशाल भवन है जिसका गेट भारतीय, मुगल शैली में बना हुआ है जिसकी लकडी बर्मा (मयमार) से मँगाई गयी थी। आज भी वही, प्राचीन समय का बना हुआ मुख्य द्वार
यात्रीयो को आकर्षित करता है पुरानी छोटी ईटो,चुनेऔर लाल मिट्टी से निर्मित इमारत में 48 कमरे तीन तलो में बने बरावडो में आज भी वर्ष भर तीर्थयात्री आकर कथा भागवत, का आयोजन करते रहते हैं शहर के बीचों बीच स्थिति होने के कारण भाटिया भवन में शादी विवाहो, सामाजिक समारोह का आयोजन होता रहता है। समय की गति का प्रभाव प्राचीन इमारत पर दिखाई पडने लगा है लेकिन इसका प्राचीन इतिहास आने वाले तीर्थयात्रीयो को इसके निर्माताओं के विषय में जानने के लिए उत्सुक करता रहता है और हरद्वार से हरिद्वार तक के बनने के सफर के सौ वर्ष का साक्षी बना हुआ भाटिया भवन आज भी अपनी कहानी खुद कह रहा है।
संजय वर्मा (पत्रकार)
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भाटिया भवन का इतिहास
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