डा0 निशंक जी की कविता

*शीर्षक:- आह से उपजा गान*


अब दर्द न देना है तुमको, मैं दर्द स्वयं ही ले लूँगा |


ये मेरे सारे दर्द इन्हें मैं ख़ुशी-ख़ुशी सब सह-दूँगा |


मुझको तो खुशियाँ ही देनी, दुनिया की पीड़ा ले लूँगा |


बची हुई थोड़ी खुशियाँ भी ला दुनिया को दे दूँगा |


मेरे हर पग पीड़ा पहुँचाओ,इस पर भी सबका हक़ होगा


हर आह से उपजा गान, कल जग का पथ-दर्शक होगा |
             
--डॉ० रमेश पोखरियाल "निशंक"🌹


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