गजल(तूने भी कुछ खोया है क्या)
दुख में तू भी हंसता है क्या।
तू भी रब का बंदा है क्या।।
रोज मेरे ख्वाबों में आए।
तेरा-मेरा रिश्ता है क्या।।
जिससे तू मिलता है अक्सर।
मुझसे भी अच्छा है क्या।।
जब देखो हंसता रहता है।
तूने भी कुछ खोया है क्या।।
जिसके पीछे सब थे पागल।
ये तेरा वो झुमका है क्या।।
तेरी आंखें क्यों भर आई।
कोई आने वाला है क्या।।
पास मेरे बैठे हो जैसे।
ये आंखों का धोखा है क्या।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
No comments:
Post a Comment