गजल (दर्द गढ़वाली)
वक्त जाया करें हम क्यों उन्हें मनाने में
और भी काम हैं हमको अभी जमाने में।।
है खबर गर्म वो आएंगे आज घर मेरे
आज फिर जश्न मनेगा गरीबखाने में।।
हैं मेरे सामने आंखों के मस्त पैमाने
क्या जरूरी है कि जाएं शराबखाने में।।
ख्वाब में आ रहे वो हैं बसे तसव्वुर में
आ रहा है मजा हमको फरेब खाने में।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
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