गजल
ख्वाब मत देखो बिखर जाते हैं।
दर्द आंखों में ठहर जाते हैं।।
मोड़कर मुंह जब गुजर जाते हैं।
तोड़कर दिल-ओ-जिगर जाते हैं।।
लोग कहते हैं कि तर जाते हैं।
नाम पर तेरे जो मर जाते हैं।।
हूक सी दिल में उठा करती है।
वो इधर से जब उधर जाते हैं।।
खाक में जब ये बदन मिलते हैं।
और ज्यादा ये निखर जाते हैं।।
जो गुजरते हैं नजर से बचकर।
वो नजर से भी उतर जाते हैं।।
उस गली से है मुहब्बत इतनी।
ख्वाब में भी हम उधर जाते हैं।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
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