दर्द गढ़वाली

गजल


ये नश्शा कैसा तारी है।
आंखों पर भी ये भारी है।।


रिश्तों को तुम ठुकराते हो।
ये कैसी दुनियादारी है।।


दूध बताशा देंगे सबको।
ये सच है पर अखबारी है।।


गजलों के बाजारों में।
शेरों की मारामारी है।।


हरदम गुस्से में रहते हो।
क्यों तुममे ये बीमारी।।


मेरा हिस्सा खा जाते हो।
ये कैसी हिस्सेदारी है।।


इसकी बातों में मत आना।
ये बाबा तो संसारी है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून 
09455485094


No comments:

Post a Comment

Featured Post

बजरंग दल ने निकाली शौर्य जागरण यात्रा

तेल लगाओ सरसों का हिसाब लेंगे वर्षों का: सोहन सिंह सोलंकी   देवभूमि उत्तराखण्ड को दैत्यभूमि नहीं बनने देंगे: सोहन सिंह सोलंकी  हरिद्वार ...