हास परिहास

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हास परिहास (डा0 एस के कुलश्रेष्ठ)


Height of misunderstanding* 
😛😛😛😛😛😛


अवसर था 
चर्च में एक  विवाह का...


काफ़ी बड़ी 
संख्या में मेहमान आये हुए थे.


दूल्हा-दुल्हन 
ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे...


पादरी महोदय ने 
जैसे ही विवाह की रस्म शुरू की...


उन्होंने 
औपचारिक शुरुआत की
और सम्बोधित करते हुए कहा :—


*अगर*
*यहाँ मौजूद किसी भी*
*महिला या पुरुष को इस विवाह पर आपत्ति है तो वह कृपया आपत्ति के कारण सहित सामने आये...!*


सभी लोग
चुपचाप अपने स्थान पर बैठे रहे..


अचानक...
एक सुन्दर सी महिला
जिसकी गोद में एक छोटा सा बच्चा था, पीछे की पंक्ति से उठी और पादरी की ओर तेज़ी से बढ़ी...
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दुल्हन ने जब 
उस औरत को बच्चे के साथ
पादरी की ओर आते हुए देखा 
तो दूल्हे को कसकर एक झापड़ रसीद कर दिया...


दूल्हा अपना गाल
सहला ही रहा था इसी बीच
उसकी माँ बेहोश हो के गिर पड़ी...


दूल्हे के पिता
स्थिति को समझते हुए
तुरन्त दूल्हे की माँ की ओर बढ़े..


घराती और बराती 
सब सन्न हो के रह गये,
सारे मेहमानों में भगदड़ मच गई...


पादरी महोदय ने 
स्थिति को सम्भालते हुए
उस बच्चे वाली महिला से कहा :—


बेटी...!
साफ़-साफ़ बताओ कि
आपको दूल्हे से क्या शिकायत है...?


महिला बोली :—
जी...!
मैं तो दूल्हे को 
जानती तक नहीं हूँ...!
*मुझे पीछे*
*कुछ सुनाई नहीं दे रहा था...*
*इसलिए*
*आगे की कुर्सी पर*
*बैठने के लिए आगे आ रही हूँ...!*
 *यही हालत देश मे सी.ए.ए और एन. आर. सी को लेकर हो रखी है।* 
😳😳😳😳😳😳😳


 


CAA पर हम कागज नहीं दिखाएंगे कहने वाले जावेद अख़्तर सारे कागजात लेकर हॉस्पिटल में घूम रहे हैं... 


*शबाना के मेडिक्लेम के लिये !!*


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