कविता --मनमीत
कैसे बताऊं मैं तुम्हे
मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊं मैं तुम्हे
तुम धड़कनों का गीत हो
जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िन्दगी तुम बन्दगी
तुम रौशनी तुम ताज़गी
तुम हर खुशी तुम प्यार हो
तुम प्रीत हो मनमीत हो
आँखों में तुम यादों में तुम
साँसों में तुम आहों में तुम
नींदों में तुम ख़्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में
तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबह में तुम श्याम में
तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम
मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हसना भी तुम
मेरे लिए रोना भी तुमऔर जागना सोना भी तुम
तुम ही मेरे मनमीत मेरे।
(आनीता वर्मा )
No comments:
Post a Comment