डराऐगा सितमग़र तो डरोगे क्या
गजल
सड़क उखड़ी पड़ी हैं सब गिरोगे क्या।
बड़ी रफ्तार में हो तुम मरोगे क्या।।
उन्हें अम्नो-अमन से है नहीं मतलब।
उन्हीं की राह बोलो तुम चलोगे क्या।।
घिरा राजा है चारों ही तरफ से अब।
लड़ोगे या, सरेंडर तुम करोगे क्या।।
कफन बांधे सरों पर हैं चले वो सब।
कमरबस्ता चलो तुम भी चलोगे क्या।।
निकल आए सभी हैं बरछियां लेकर।
जमीं को लाल अब खूं से करोगे क्या।।
सितमगर तो सितम पे ही अमादा है।
डराएगा सितमगर तो डरोगे क्या।।
नहीं आसान ये राहे-मुहब्बत है।
हमारे नाम पर तुम मर मिटोगे क्या।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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