गजल
जिस रस्ते में प्यार बहुत है।
वो रस्ता दुश्वार बहुत है।।
होंठों पर तो खामोशी है।
आंखों में इजहार बहुत है।।
जीवन जीवन सा जीने को।
मिल जाए तो प्यार बहुत है।।
आग लगाने को बस्ती में।
छोटा सा अखबार बहुत है।।
दीवाना है 'दर्द' तुम्हारा।
बस इतना इकरार बहुत है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
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