गजल


  • गजल(  ताज से अच्छी क्या मौहब्बत की निशानी होगी )


खत्म अब तो सब कहानी होगी।
मौत के घर आगवानी होगी।।


साफ तुमको सब बतानी होगी।
बात जो भी दरमियानी होगी।।


चादरों के साथ इन पांवों की।
और कितनी खींचतानी होगी।। 


रात भर जो सो न पाई कल भी।
आपकी सचमुच दिवानी होगी।।


बाग सारा रौंद डाला उसने।
किस तरह अब बागवानी होगी।।


लीडरों की फौज फिर आएगी।
अब तो बस नौहाख्वानी होगी।।


ताज से अच्छी कहीं दुन्या में।
क्या मुहब्बत की निशानी होगी।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 


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