कविता

कविता


निर्दोषो का खून बहाना
किसी के लिए भी ठीक नही
मेहमान के आगे हिंसा फ़ैलाना
मेजबान होकर ठीक नही
गांधी नेहरू का यह देश है
हिंसा यहां बर्दाश्त नही
सुहागनों को विधवा बनाना
इंसान होकर ठीक नही
हक अगर चाहिए आपको
अदालत से गुहार लगाओ
कानूनी लड़ाई लड़कर
अदालत से अपना हक पाओ
हक के लिए कानून तोडना
किसी के लिए भी ठीक नही
सड़कों पर उधम मचाना
किसी के लिए भी ठीक नही।
-----श्रीगोपाल नारसन


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