मेरी गौरैया

डा  पंकज  कौशिक 
मेरी गौरैया  
चूं - चूं -चूं  / चीं - चीं -चीं - करके /  
 करती भोर  का आगाज़/
 मेरी  गौरैया । 
स्वरों  के गीत खूब सुनाती/ 
फिर  मुझे  जागती /  
 मेरी  गौरैया । 
सुबह  होते  ही  आँगन में  /
फुदक - फुदक  कर  शोर  मचाती / 
 मेरी  गौरैया । 
दादी  माँ  की  नज़रों  से लुका - छिपी 
करती / 
 मेरी गौरैया । 
 दिनभर मंदिर /मस्जिद / गुरूद्वारे / गिरजाघर  पर / 
जाकर  बैठती - फुर्र- फुर्र - फुर्र  - उड़कर 
 मेरी  गौरैया । 
भंडारे / जलसा /  लंगर /रोजा  का 
 खाना खूब शौक  से खाती 
 मेरी  गौरैया । 
धर्म - जाति - पाति - भेदभाव  भूलाकर / सबको 
 मिलाती /  मेरी गौरिया । 
सबको हंसाती /आँख- मिचौली   खेलती/
 मेरी  गौरैया ।
बुआ जी  गौरैया  के पंख  रंगती  फिर  से /
फुर्र आकाश  में उड़ जाती /
 मेरी  गौरैया । 
शाम  होते  ही  घर की छोरी लाडली झुंडों  से /
रंग बिरंगी  खोज  लाती / 
 मेरी गौरैया ।
दददा  की थाली   से चीं - चीं - चू -चूं  करके रोटी  मांगती / 
 मेरी  गौरैया ।    
कल्लू / राधे / नदीम / गुरुप्रीत  / चच्चा / चाचे / चाचा 
 बाहों  पर फुदक - फुदक कर  मस्ती  करती 
 मेरी  गौरैया । 
गाँव / शहर / चौराहे  की गलियों   में झुण्ड के झुण्ड  दिखाई देते  /
 मेरी गौरैया । 
आज  मम्मी - पापा के सामने  लुप्त  होती  /
  मेरी  गौरैया।  
 दादी  की आखों  पर लगा चश्मा खोजता / 
मेरी  गौरैया ।   
भोला/  सुलतान / मनप्रीत / जेकब 
 की  कहाँ  गुम  हो गयी  ? / 
 मेरी  गौरैया । 
 वैज्ञानिकों  के शोध  का  विषय  बनती / 
 मेरी  गौरैया । 
अखबारों  के अभियानों  की सुर्खियां  बन रही / 
  मेरी  गौरैया ।


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