बाबा फरीद की वाणी

बाबा फरीद एक आध्यात्मिक विभूति 


 


मेरे मन तन प्रेम नाम आधार।
नाम जपी नामो सुख सार।।
नाम जपो मेरे साजन सैना।
नाम बिना मै अवर न कोइ 
वडे भाग गुरमुख हर लैना ।।रहाउ।।
 नाम बिना नहीं जीवया जाय।
वडे भाग गुरमुख हर पाय।।
नाम हीन कालख मुख माया।
नाम बिना ध्रिग ध्रिग जीवाया।।
वड वडा हर भाग कर पाया।
नानक गुरमुख नाम दिवाया।।
बाबा फरीद जी को नाम की लगन उनकी मां ने लगाई एक दिन फरीदजी ने मां से पूछा कि मां भगवान का नाम लेने से क्या मिलता है तो इस पर मां ने कहा कि शक्कर मिलती है ऐसी नाम की लगन लगी कि लगातार नाम एकांत में बैठकर जाप करने लगे 
  12 वर्ष बाद जब घर आए तो माँ ने बालों में से कंघी की तो उनके सबने मुख से सी(हाय)निकला। मां ने कहा जिन पेड़ों के पत्ते फल खाए हैं क्या उन्हें दर्द नहीं हुआ अभी तुम्हें भगवान की प्राप्ति नहीं हुई ।फरीद जी ने कहा मां फिर मैं क्या करूं तो यह कहा कि एक सुखी लक्कड़ तेरे गले में डाल देती हूं जब भूख लगे इस पर  दांत से शांत कर लेना उसके बाद 12 साल फरीद जी ने फिर भगवान  की भक्ति की ।
1 दिन ऐसा हुआ कि सुबह बहुत चिड़िया और पंछी हल्ला मचा रहे थे तो फरीदसाहब के मुख से निकला कि यही भगवान के नाम लेने का समय ज्यादा अच्छा होता है और तुम आवाज कर रहे हो मर क्यों नहीं जाते।  ऐसा सुनते ही सभी पेड़ों से पंछी गिरकर मर गए ।जो भगवान के की भक्ति करते हैं उनमें नम्रता का भाव बहुत अधिक होता है तो वह बोले हे भगवान मेरे से गलती हो गई यह जिंदा हो जाए तो सभी पंछी जिंदा हो गए ।अब फरीद जी को भूख भी लग गई और प्यास भी लग गई। तो जंगल के बाहर जाते हैं क्या देखते हैं कि एक माताजी पानी कुएं से भर रही है और बाहर सड़क पर डाल रही है बोले माताजी मुझे प्यास लगी है पानी पिला दो वह बोली कि बाबा जी बैठ जाओ अभी मैं खाली होती हूं तो पिला देती हूं फरीद जी सोच रहे थे कि यह पानी कुँए से निकाल रही है और सड़क पर ही डाल रही है व्यर्थ डाल रही है मुझे प्यास लगी है तो दोबारा फिर कहा माताजी मुझे पानी पिला दो। तो उसने कहा कि फरीद साहब बैठ जाओ अभी यह चिड़िया नहीं जो मर कर जिंदा हो जाएंगी अभी खाली होती हो तो पिला देती हूं फरीद साहब के पैर से जमीन निकलती  महसूस हुई यह तो मेरे से भी आगे है। थोड़ी देर में उस महिला ने कहा  बाबा जी पानी पी लो कहने लगे अब प्यास बुझ गई है बताओ तुम्हें कैसे पता लगा कि आज चिड़िया मरी और जिंदा हुई थी इसमें इस इलाके में मेरा कोई नाम नहीं जानता तुमने मेरा नाम भी लिया है तो बोली बाबाजी पानी पियो और जाओ कि नहीं अब यह बताओ यह जो सड़क पर पानी डाल रही हो यह क्यों डाल रही हो उसने बताया कि 60 कोस पर मेरी बहन के घर को आग लगी हुई थी और मैं उससे बुझा रही थी तो फरीद साहब को यकीन हो गया उसने उन्होंने कहा मुझे बताओ पाया कैसे तो जिद करने पर उस पतिवर्ता महिला ने बताया कि मैं मेरी जब शादी हुई ।तो पहले ही दिन  मेरे पति ने पानी मांगा तो मैं पानी लाने में देरी हो गई बर्तन ढूंढने में मुझे देरी हो गई। तो पति सो गए अब मैंने सोचा कि इन्हें प्यास लगी है यदि मैं भी पानी रख कर सो गई तो यह इन्हें दुख होगा कि मेरी पत्नी है जीवन साथी है और यदि मैंने जगाया तो नींद खराब होगी यह सोचकर मैं पूरी रात खड़ी रही वे भी सोते रहे और वह भगवान का नाम जपने वाले थे सुबह 4:00 बजे जैसे ही आंख खुली मुझे सामने देखकर आश्चर्य से पूछा कि तुम रात से यही खड़ी हो मैंने कहा जी तो उन्होंने बिना कुर्ला किए ही पानी पिया जा जो पानी पिया मुझे ब्रह्म ज्ञान हो गया तो मैंने तो फरीद जी एक ही रात में पाया है।
।इसके बाद फरीद साहिब जी नें बंदगी करके परमात्मा की प्राप्ति की। 
गुरू ग्रंथ साहिब जी  में फरीद जी के श्लोक दर्ज हैं।🙏🙏
                  ##कुलदीपसिंह  प्र.अ. रा.प्रा.वि.ऐथल


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