भारतीय परम्परा की हो रही हैं जय जयकार


  • #कोरोना_वायरस_आने_के_बाद_पूरा_विश्व_समझ_रहा_है_भारत_की_पुरातन_वैज्ञानिक_परम्पराओं_को_


जब हम किसी से हाथ मिलाते हैं तो हमें नहीं पता होता कि वो व्यक्ति किस बीमारी से संक्रमित है। हाथ मिलाने पर अनजाने में हम भी उस बीमारी के बैक्टीरिया-वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए हाथ मिलाने की बजाए हाथ जोड़कर अभिवादन करना ज्यादा फायदेमंद है।
दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते समय दायां हाथ बाएं हाथ से जुड़ता है। शरीर में दाईं ओर ईड़ा और बांईं ओर पिंगला नाड़ी होती है, और माथे पर दोनों भौहों के बीच में ऊपर की तरफ सुषुम्ना नाड़ी होती है। नमस्कार करते समय इन तीनों का मिलन होता है। इस प्रकार प्रणाम करने से हथेलियों पर दबाव पड़ता है, जिससे ह्रदय चक्र और आज्ञा चक्र में सक्रियता आती है। इससे दिल से संबंधित बीमारियां नहीं होती और मस्तिष्क भी ठीक से काम करता है।


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