स्वतंत्रता और निर्णय लेने का अधिकार ही है महिला सशक्तिकरण: डाॅ. बत्रा
महाविद्यालय द्वारा किया गया ‘महिला एवं समाज’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन
हरिद्वार 05 मार्च एस.एम.जे.एन.पी.जी. काॅलेज में आज ‘महिला एवं समाज’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें काॅलेज के विभिन्न छात्र-छात्राओं ने इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
बी.ए. षष्टम सेम की छात्रा कु. शुभांगी ने कहा कि पुरुषों को महिलाओं के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। समाज में स्त्री व पुरुष के बीच समानता रहे तो ही सही मायने में नारी सशक्तिकरण हो पायेगा।
कु. आंकाक्षा ने कहा कि यदि हम समाज में नारी को समुचित प्रतिष्ठा देना चाहते हैं तो नारियों को अपने भीतर आत्मसम्मान की भावना को बढ़ाना पड़ेगा।
कु. दीक्षा ने कहा कि नारियों को आत्मनिर्भर होना चाहिए ताकि समाज में वह अपने फैसले स्वयं ले सके। बी.एससी षष्टम सेम की छात्रा कु. काजल ने कहा कि महिलाओं का ये जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें पुरुषों के समान महत्व मिले। वास्तव में नारी सशक्तिकरण को लाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों को पहचानना चाहिए।
कशिश ने कहा कि नारी सशक्तिकरण तभी सम्भव है जब नारी को भी पुरुष के समान शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्राप्त हो सके।
कु. रिया ने कहा कि पहली सन्तान लड़का होने पर माता-पिता एकल सन्तान रखना चाहते हैं जबकि पहली सन्तान लड़की होने पर एक से अधिक सन्तान की अभिलाषा लड़के के लिए रखते हैं।
बी.एससी चतुर्थ सेम की छात्रा वर्षा ने कहा कि एक पत्नी को भी एक पति की भांति परिवार के अहम फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए।
छात्र नीरज ने कहा कि पुरूष को अपनी मानसिक समझ को विस्तृत करना होगा जिससे कि एक नये समाज का निर्माण किया जा सके।
काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने काॅलेज की छात्राओं के विचारों की सराहना करते हुए कहा कि महिलाओं को स्वतंत्रता और निर्णय लेने का अधिकार ही महिला सशक्तिकरण है। डाॅ. बत्रा ने उपस्थित सभी का आह्वान करते हुए कहा कि यदि हम खुशहाल परिवार, समाज, देश एवं दुनिया की कल्पना करते हैं तो हमें महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा देना होगा। हमें उनके पंख नहीं बांधने हैं, हमें उन्हें खुले आकाश में उड़ने के लिए सहयेाग करना चाहिए।
मुख्य अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि देश की आधी आबादी महिलाओं की है, अतः देश के लिए के लिए यह अति आवश्यक है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरूषों की तरह समान अधिकार प्राप्त हों।
मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक ने कहा कि आज पूरे विश्व में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा हो रही है। सदियों से महिलाओं को समाज में दूसरे दर्जे का नागरिक माना गया है जिससे उनमें स्वयं के अन्दर सही निर्णय न ले पाने की भावना घर कर गयी। इस भावना को दूर करने के लिए महिला के सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हुई जिससे वह इतनी सशक्त हो कि वह अपने जीवन से सम्बन्धित निर्णय लेने में सक्षम हो।
विज्ञान विभाग की शिक्षिका डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल ने कहा कि समाज में नारी सशक्तिकरण के लिए माता-पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यदि माता-पिता एक अच्छी पेरेटिंग करे और अपनी बेटी व बेटे को समान समझे तो समाज में नारी को उसका समुचित स्थान मिल सकेगा। डाॅ. पदमावती तनेजा ने कहा कि नारी सशक्तिकरण के लिए लड़कियों को आत्मरक्षा की अनेक विधियों जैसे ताईक्वांडो, जूड़ो आदि में पारंगत होना चाहिए ताकि कोई उनकी तरफ गलत दृष्टि से न देख सके। इस अवसर पर वैभव बत्रा, डाॅ. पुनीता शर्मा, डाॅ. विजय शर्मा, नेहा सिद्दकी, दीपिका आनन्द, रंजना राणा, मोहन चन्द्र पाण्डेय सहित काॅलेज के अनेक छात्र-छात्रा उपस्थित थे।
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