दुनिया को अब समझ आ रही हैं हमारी ऋषि परम्परा, आहार, व्यवहार शुद्धि, की प्रधानता
व्यक्ति स्वयं समझ ले, अन्यथा अतिवादिता बरतने पर प्रकृति तमाचा मार कर खुद रास्ते पर ले आती है। कोरोना जैसा घातक वायरस तो एक छोटे छोटे सबक भर हैं।
हालत ये है कि आज वे लोग हाथ मिलाने, #चुम्बन लेने, साथ साथ भोजन करने, किसी दूसरे का दिया हुआ समान प्रयोग करने से परहेज कर रहे हैं, जो इसी को एडवांस होना मानते थे। जिनका एक दिन भी इन सबके बिन बीतना मुश्किल था।
मांसाहार वे लोग त्याग रहे हैं, जिनका इसके बिना #स्वाद ही बिगड़ जाता था।
असंख्य लोगों को दुसरो के हाथ बना व बाहरी भोजन अब जहर सा दिखने लगा है। #मांसाहार के पक्षधर लोग अब अपने छोटे छोटे घरों में ही वह जगह खोजने लगे हैं, जिसमे खुद की साग-सब्जी उगाकर खा सकें।
और तो और जो जूते चप्पल पहनकर किसी भी जगह मुंह उठाकर आहार ठूंसने को गौरव मानते थे, वे अपने घरों में रसोई बनाने लगे हैं, वह भी चप्पल जूते से मुक्त।
ये सभी वे लोग हैं जो शुद्धता व पवित्रता से परिपूर्ण भारतीय ऋषि प्रणीत जीवन पद्धति व सदियों पूर्व गहन अनुसंधान से तैयार #सनातनपरंपरा का न केवल उपहास उड़ाते थे, अपितु उसे दकियानूसी मानते थे।
सच कहें तो हम भारतीयों को #शाकाहार, शुद्धता से भी बढ़कर पवित्रता और प्राकृतिक #जीवनशैली हमें विरासत में मिली है। इसे हम न अपनाएं तो कोई क्या कर सकता है। इसी जीवनशैली के सहारे मनुष्य मनुष्य बनता है, अन्यथा #मनुष्य और #पशु में क्या अंतर।
आहार से #प्रवृत्ति का निर्माण होता है, जिसके सहारे आदतें व व्यवहार बनता है। शुद्ध, #सात्विक व शाकाहारी #आहार ही मनुष्य की मूलभूत जरूरत है। पर मनुष्य ने अपने अभक्ष्य भक्ष्यण के चलते अपनी मनुष्यता खो दी, तो प्रकृति को ऐसे कदम उठाने ही थे।
मानव प्रकृति पर अधिकार करने के नशे में इस स्तर तक आ गया कि वह स्वयं जड़ता में डूब गया। इसके कृत्यों से आज #परमात्मा की इस प्रकृति पर ही बन आयी। इसमें हम आप सभी सामिल हैं। ऐसे में उसे अपना रौद्र रूप लाना ही था। कोरोना उसी दिशा में मनुष्य के लिए एक छोटा सा सबक है।
ऐसा रोग कि सारी #चिकित्सा धरी की धरी रह जा रही। यहाँ तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन #WHO तक के लिए हाथ खड़ा करने के अलावा कोई चारा नहीं दिख रहा। #कोरोना से प्रभावित व आशंकित सभी देशों में वहाँ की मूलभूत जरूरत की गतिविधियां तक ठप्प पड़ गयीं। विद्यालय, कंपनियां, कारखाने अपने काम रोकने को मजबूर हो रहे।
इसलिए भारतीय जीवलशैली में नित्य प्रयोग होने वाले सूत्र जैसे शाकाहारी जीवनक्रम, शुद्धता व पवित्रता भरा जीवन, #यज्ञ-#मंत्र की नियमितता, #संध्यावंदन से जुड़ाव, #तुलसी, #लौंग-नीम #गिलोय जैसी जड़ीबूटियों का प्रयोग, #देशी #गौवंश व #पंचगव्य का सेवन आदि को जीवन का अंग बनाना ही होगा।
यदि हम अभी भी न सम्हले तो कोरोना वायरस से भी घातक वायरस का सामना करना पड़ सकता है।
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