- *पंखों से कुछ नही होता, हौंसलों से उड़ान होती है।*
ब्लॉक आफिस के मैदान में लगी हाट देखी। स्थानीय ग्रामीणों और स्वयं सहायता समूहों के द्वारा निर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी में अनेक प्रकार के जैविक व हस्तनिर्मित उत्पाद सजे हुए थे। हम लोगों ने कई स्टाल देखे और कुछ उत्पाद भी खरीदे।
स्टॉल देखते हुए हमारी नज़र कलाकृतियों से सजे एक स्थान पर पड़ी। यहाँ दो बच्चियाँ स्टाल पर मिली, बलविंदर और अदिति। इन दोनों की प्रतिभा और हौसलें देखकर बहुत खुशी हुई। बलविंदर के चित्रों में एक महिला के जीवन की मनोस्थिति बड़े अर्थपूर्ण ढंग से उभरती है। जीवन की समझ रंगों से फूटकर इस बच्ची के चित्रों के जरिये सशक्त रूप से अभियक्त हुई है। बलविंदर कहती है कि उसे पेंटिंग का शौक बचपन से रहा है और जीवन के विभिन्न अनुभवों ने उसकी चित्रकला को निखारा है। इस बच्ची की सोच, कला और अभिव्यक्ति ने मुझे बहुत प्रभावित किया।
वहीं अदिति स्नातक की डिग्री लेने से पहले ही निफ्ट की परीक्षा पास कर चुकी है और एक फैशन डिज़ाइनर बनाना चाहती है। उसने बहुत सुंदर ऐपण तैयार किये हुए थे और खुद से कुछ अन्य चीजों जैसे गमलों पर बहुत सुंदर कलाकारी की हुई थी। अदिति अपने इस शौक को ही कैरियर बनाना चाहती है और अपने सपनों को पंख देना चाहती है। दोनों ही बच्चियाँ पढ़ने में भी काफी होशियार है। दोनों अपने लक्ष्य के प्रति स्पष्ट हैं। दोनों की आंखों में अपने सपनों की चमक है और दोनों के अंदर अपने सपने को पूरा करने की एक जिद मौजूद है।
यह देखकर बहुत खुशी हुई। लगा कि हमारी बेटियाँ किसी से कम नही। अपने इरादों पर डटी रहिए बलविंदर, अदिति। आप इस मुल्क का भविष्य हो। अपने सपनों को पंख दो, खूब ऊँचा उड़ो, दूसरों के लिए मिसाल बनो, अपने जैसी सभी बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बनों। ईश्वर आपको आपके लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करें।
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