पुष्प राज धीमान की कविता खबर

खबर


जो लिखते थे यू खबरों पर खबर
उनके पास रह गई बस एक खबर
 प्रेस लिखे वाहन भी नहीं दिखे
कोई तो दे दे मुझे उनकी खबर
गजब का लिखते रहे जो अब तक
उनकीभी नहीं आ रही कोई खबर
गायब से हो गए हाकर भी यहां
उनकीभी छपे गुमशुदगी की खबर
जान बचानी है तो घर में पड़े रहो।
 यही है पहले पेज की लीड खबर
पढ़ते-पढ़ते यही बोर हो जाएंगे
पढ़ने को मिलेगी जब यही खबर
कई दिनों से घर में ही कैद हो गया
आज भी अपनी चाहिए यह खबर
अब हर पेज को करोना हो गया
आती थी जिसमें कितनी खबर
खत्म हो गई आज बंदीसे सॉरी
पढ़ने को कब मिलेगी यह खबर
अब तो कोई पूछता भी नहीं
तेरे पास है क्या कोई नई खबर
सब करोना पर ही लिख रहे हैं
मैं भी लिख रहा हूं बस यही खबर
करोना को जो ले रहा हल्के में
हो सकता है  कल की लीड खबर
घर से बाहर यूं ही दिख रहा है जो
ले रही है पुलिस उसकी खबर
चाइना को कुछ फर्क नहीं पड़ा
तब से हैरान  हूं सुनकर यह खबर
 एक पटाखा फोड़े बगैर ही उसने
कैसे ले ली यू दुनिया की खबर
धीरे धीरे निकल रहा है सच
कल तक दे रहा जो फर्जी खबर
गारंटी शुदा है वायरस उसका
 कैसी लगी मेरी यह सच्ची खबर
आंखें जिसकी पूरी खुलती नहीं
पहले पढ़ ली उसने पूरी खबर
कल को भी पढ़ेंगे आप मुझे
आज नहीं लिखता पूरी खबर कविताएं ही लिख रहा धीमान भी
लिखता था जो खबरों पर खबर
चीन कीअब हो रही है फजीहत
कल पढ़ने को मिलेगी यह खबर।


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