रोटी दे सरकार, भाषणो से मोदी जी पेट भरता नहीं

गजल


रोटियां दे भाषणों से पेट कब किसका भरा।
बाज आ जा हरकतों से देखता होगा खुदा।।


आदमी दुश्मन बना है आदमी का आज फिर।
कर रहा है आदमी अब देखिए क्या-क्या खता।।


रोटियों के नाम पर हमको दिखाया चांद ही।
क्या कहें किससे कहें किस बात की देता सजा।।


बोलिए कुछ आप भी कब तक रहेंगे आप चुप।
जो नहीं था आदमी भी देवता अपना बना।।


आपने तो रोटियां देने का वादा था किया।
हाकिमों वादा बताओ आपका वो क्या हुआ।।


गलतियां अपनी छिपाने को किया क्या-क्या नहीं।
मजहबों के नाम पर इस देश में क्या-क्या हुआ।


माफ कर दे ऐ खुदा बंदे सभी हम आपके।
सुन रहा तू क्यूं नहीं हमसे हुई है क्या खता।।


कुछ करो तजबीज यारों चैन से सब जी सकें।
कब तलक ऐसे चलेगा खौफ का ये सिलसिला।।


जो फसल बोई थी तुमने काटनी होगी तुम्हें।
सर झुकाओ हाथ जोड़ो और मांगो अब दुआ।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 
09455485094


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