स्वदेशी संदेश

स्वदेशी जागरण मंच का निवेदन


बन्धुओ, जैसा आप जानते है नए कोरोना वायरस के कारण देश व दुनिया एक संकट काल से गुजर रहे हैं। ऐसे में एक मंच के नाते स्वदेशी जागरण मंच के प्रमुख कार्यकर्ताओं से विचार कर निम्न पांच करणीय बिंदु चिन्हित किए है, कृपया सभी लोग इनकी क्रियान्विति के लिए जुटे, ऐसा निवेदन है:
1. सतर्कता बढे, हौआ न फैले, न लूट बढे: हमने इसकी भी चिंता करनी है। अतः समाज में सेनिटीज़र्स, मास्क्स, अंग्रेजी दवा आदि के नाम पर लूट न बढ़े, बल्कि सहज आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय लोगों के ध्यान में दिलाना चाहिये। निकट के आयुर्वेद संस्थानों से भी सम्पर्क करना चाहिये, अच्छे प्राइवेट हॉस्पिटल्स को भी सेवा भाव से समाज मे उतरने का आह्वान, सम्पर्क व सद्प्रेरणा देना। अपने स्थानों पर भी आप भी ऐसे महानुभावों से सम्पर्क करें। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रति चेतना बढ़ाना, व योग हमारा स्थाई विषय रहा है, और कार्यकर्ताओं को इसका स्मरण करवाना चाहिए। श्रीकृष्ण आयुष विश्विद्यालय, कुरुक्षेत्र के उप कुलपति डॉ बलदेव जी से भी इस समय अत्यधिक सक्रियता व सहयोग की अपेक्षा की गई है। वहां एक सूचना व तालमेल केंद्र बनाने जा रहे हैं, और इस निमित्त सम्पर्क सूत्र का फ़ोन, मेल ईडी दी जाएगी।
2. सरकारी संस्थान सम्बल केंद्र महसूस हों: भारत में सरकार व सरकारी डॉक्टर व सरकारी हस्पताल इस समय संकट निवारण के लिए डट कर खड़े हैं, ऐसा हमें दिख भी रहा है और दुनियां भी कह रही है। इन सुविधाओं की हम भी अधिकाधिक जानकारी  रखें और समाज में इन संस्थानों के प्रति उपकृतता का भाव जागरण करें। अतः कहीं कमी है तो उसे भी सुयोग्य स्थान पर प्रगट करके ठीक करवा लें, अनास्था भाव न पैदा होने दे। गलत अफ़वाहों को यथा सम्भव रोकें। समाज का आस्था भाव व मनोबल इन संस्थानों के प्रति  बढ़ना चाहिए। अभी प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्र के नाम संदेश में जो 9 बिंदु सुझाए हैं, उनके क्रियान्वयन के लिए हम सभी जुटें।


3. अंतिम व्यक्ति की सम्हाल: गरीब लोगों, मजदूरों, दिहाड़ीदार वर्ग आदि की चिंता भी इस आर्थिक शिथलता के समय होनी चाहिये। फिटकरी, कपूर, तुलसी, नीम पत्र, अलैविरा पत्र, गिलोय बिक्री करने आदि के काम भी साथ साथ इन गरीब लोगों के  चलें, इसकी चिंता हो सकती है क्या। मंदिर, धर्मशाला में  भीड़भाड़  न करते हुए गरीबों के लिए छोटे लंगर आदि की व्यवस्था रखें, ऐसी चर्चा उन संस्थाओं से करना चाहिये।
4. अन्य करणीय कार्य:
हर स्थान पर पांच-सात कार्यकर्ता इस विषय पर विचार के लिए बैठे कि स्थानीय स्तर पर क्या-क्या हो सकता है। इस विषय सम्बन्धी  पत्रक बांटे, फलक लगाए। छोटे ग्रुप में मिलें।कॉलोनी, गांव व बस्ती तक कार्यकर्ता सक्रिय हों। चीन में नए कोरोना पीड़ित अभी बढ़ने कम हुए हैं। एक कारगर उपाय जो वहां हुआ वह है कि ज्यादातर लोगों ने 'सेल्फ-क्वारंटाइन' यानि घरों में रहकर अलगथलग कुछ दिन किया! इसका प्रचार हमें यहां भी करना है। सामान्यतः एक मत है कि मास डेढ मास  का ये संकट है। ऐसे एकांत व संकट में अपने कार्यकता सक्रिय रहें तथा शेष समय में ठेंगड़ी जी के साहित्य का पठन-पाठन, यूट्यूब दर्शन आदि के लिए प्रेरित करना है।


5. क्या कोरोना क चीन का षड्यंत्र है? :
अभी इस बारे में चाहे  निर्णयात्मक कहना मुश्किल है, परंतु जिस प्रकार के काम चीन ने अभी तक किए है उसका जरूर जिक्र करें। यथा जिस-जिस वैज्ञानिक ने कोरोना के बारे बोला वह गायब ही हो गया, पुराने तियानमेन चौक पर युवकों को सामूहिक टैंको से रौंदना, अन्य डुप्लीकेट, स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक सामिग्री दुनियां में बेचना  आदि बातें ऐसी है। अतः यद्यपि पूरे प्रमाण तो अभी इक्कठे नहीं हुए, लेकिन पुराने कारनामों को देखते हुए चीन कुछ भी गड़बड़ कर सकता है, ऐसा तो कहना ही चाहिये। ऐसे ही दुनियां के अन्य अमीर देश भी पहले भी मेडिकल व फार्मा के फ्रॉड करते हैं, उसका जिक्र करना। इन राक्षसी ताक़तों से गरीब देशों को  बचाना हमारा पहले से ही प्रमुख लक्ष्य है।  अतः हम अध्ययन बढ़ाएं, कार्यकर्ता भी समाज में  संक्षेप में इन बातों को प्रचारित करें। डॉ धनपत राम जी व डॉ भगवती जी से भी निवेदन किया है कि इस विषय पर अन्य तथ्यात्मक सामिग्री शीघ्र भेजें। डॉ अश्वनीं महाजन ने अपने लेखों व  ट्वीट आदि से इस विषय को प्रारम्भ किया हुआ है।आज समाज इस समय इस विषय पर सुनना चाहता है, हमें इसकी पूर्ति करनी है।
      आशा है इनमें से कई काम आप पहले से कर रहे होंगे, और कुछ नए काम इसके अतिरिक्त भी कर रहे होंगे।  उन प्रयासों से हमें भी अवगत कराएंगे। हर आपदा किसी नए अवसर का आरम्भ होता है। चर्चिल ने कभी कहा " किसी अच्छी विपत्ति को बेकार नहीं जाने दें (Never waste a good crisis)। स्वामी विवेकानंद ने 1898 के कलकत्ता में पहले प्लेग में साथियों को आह्वान को पुनः स्मरण करना चाहिए ! " आइये, इस भय को त्यागे, कमर कसें और कार्यक्षेत्र में जुट जाएं।" जैसे रात्रि विश्राम काल में शरीर सोता है, पर दिल धड़कता रहता है। हम दिल व सैनिक की तरह हैं, सो इस संकट काल में कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़नी चाहिये, भले ही सक्रियता का परिस्थितियों अनुसार प्रकार बदल जाएगा। नमस्कार।
आपका, 
R. SUNDARAM, 
राष्ट्रीय संयोजक,
स्वदेशी जागरण मंच


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