स्वदेशी संदेश

 


विकसित देशो के कमजोर नागरिक, विलासिता ने बनाया सुविधाओ का गुलाम 


सादा जीवन ही, स्वस्थ रहने का मंत्र




ऐसे विकसित देश होने का क्या फायदा?
सारे देश और दुनिया में कोरोना की चर्चा के बीच एक प्रश्न सबके दिमाग में घूम रहा है, कि आखिर इटली में इतनी ज्यादा मौतें और इतने लोग बीमार क्यों हो रहे हैं?
मैंने भी सब तरफ खंगाला तो कुछ चीजें ध्यान में आईं। इटली यूरोप का विकसित देश है।6 करोड़ की आबादी है। साफ सुथरा, चौड़ी सड़कें, उनपर दौड़तीं लंबी-चमकती कारें, बड़ी बिल्डिंगें, समृद्धि पूरी। किंतु दुनिया की दूसरी बड़ी बुजुर्गों की आबादी(60 से ऊपर वहां 23% लोग)वाला देश है।
 लेकिन प्रमुख बात क्या है, कि मरने वालों में 50%लोगों को पहले से ही 3 या 4 बीमारियां थीं। 25% लोगों को एक या दो बीमारियां थीं। जिन्हें बीमारी नहीं थी वे तो केवल •8% लोग ही हैं।इसका अर्थ क्या हुआ? विकसित देश होने का मतलब अगर बीमारियों से ग्रसित ही होना है तो ऐसे विकसित होने का क्या उपयोग?
 फिर दूसरा कारण जो पता चला की बहुत अधिक सुविधा, साफ सफाई व अन्य चीजें होने के कारण से वहां के लोगों के शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बहुत कम हो गई है, इसलिए भी संक्रमण व मृत्यु दर इतनी उच्च है(11%)।जब कि अविकसित ईरान व चीन में केवल 3% लोग ही मरे।
एक और भी खबर है कि विकसित जापान में आत्महत्याएं सबसे अधिक होती हैं और सर्वोच्च विकसित अमेरिका में डिप्रेशन से 40% लोग ग्रस्त हैं।


स्वदेशी में भी हम यही कहते हैं की विकसित होना इसका ठीक अर्थ सब को स्पष्ट रहना चाहिए, नहीं तो यूरोप अमेरिका के मॉडल का विकसित होना किसी काम का नहीं, बल्कि बीमारी का घर है।
 बाकी भारत पुरजोर कोशिश कर रहा है। कल के बंद को सफल बनाने में सब लोग जुटे ही हैं,सफलता भी मिलेगी ही~सतीश कुमार.. नीचे:रोम(इटली)


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