त्रिवेंद्र सिंह के तीन साल और भविष्य की योजना


  • होली का शगुफ्फा 

  • क्या त्रिवेंद्र रावत क्षेत्रीय पार्टी बनाने की तेयारी कर रहे हैं ?


1-विगत कुछ समय से उत्तराखंड में  सत्ता के गलियारों में नेत्रत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट है । जिसका मुख्य कारण मुख्यमंत्री की नाकामी व 3 साल से मंत्रिमण्डल विस्तार करने की केंद्र द्वारा अनुमति नहीं दी गई है ।
2- मुख्यमंत्री द्वारा 56 विधायकों की भारी संख्या व केंद्रीय नेत्रत्व का भय दिखा कर 3 साल काट लिये थे पर अब विधायकों के सामने 
सच्चाई जाहिर हो गई हे कि प्रधानमन्त्री व ग्रह मन्त्री दोनों ही त्रिवेंद्र रावत से खुश नहीं हैं ।
3- अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिये त्रिवेंद्र रावत द्वारा फरवरी2020 में दिल्ली में आनन फानन में श्रधान्जली सभा का आयोजन किया गया जिसमें सिर्फ 13 विधायक व 1 मन्त्री ने शिरकत की ।अपने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों का व विधायकों का समर्थन त्रिवेंद्र खो चुके हैं यह वो खुद दिल्ली में सबके सामने खो चुके हैं ।
4- अपनी साख को वापस पाने के लिये त्रिवेंद्र रावत ने बिना केंद्रीय नेतृत्व,राज्य संगठन , अपने मन्त्री मंडल व विधायक दल से सलाह मशविरा के ग्रीष्मकालीन राजधानी गेरसेण की घोषणा कर दी । उनकी रणनीति भावनात्मक मुद्दे के द्वारा क्षेत्रीय भावना को बढ़ाना है ।
5- ग्रीष्मकालीन राजधानी गेरसेण की घोषणा के दूसरे दिन मुख्यमंत्री देहरादून आ गये साथ ही सारे भाजपा विधायक भी अपनी विधान सभा क्षेत्र में चले गये कोरम के अभाव में जो सदन 7 मार्च तक चलना था वह 6 मार्च को स्थगित करना पडा ।
6- कांग्रेस और युकेडी अब और जोर से गेरसेण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग लेकर सड़क में उतर गये हैं । अब क्या करेंगे त्रिवेंद्र सिंह रावत जो तीन वर्षो में न अपने विधायको और न ही कार्य कर्तांओ का दिल जीत पाए वो आगे क्या करेंगे,? ये विचारणीय प्रश्न हैं। 


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