बचाव ही सुरक्षा
एक गाँव में एक व्यक्ति था जो भगवान की बहुत पूजा करता था। गाँव में घोषणाएँ हुई कि बाढ़ का ख़तरा है गाँव को खाली कर देना चाहिए। पूरा गाँव ऊँचे स्थान पर जाता है लेकिन व्यक्ति अपने घर में रहता है। गाँव के सरपंच, कभी लम्बरदार, तो कभी सदस्य पंचायत, कुल पाँच व्यक्ति उसके पास आते हैं। वह आदमी कहता है कि मुझे अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है, वह मुझे विपत्ति का सामना करने से बचाएगा। सभी अनुरोध करके चले जाते हैं वह नहीं मानता। अंत में वही हुआ। जब गाँव में बाढ़ आती है, तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जब वह भगवान के पास जाता है, तो वह भगवान से शिकायत करता है कि मैंने आपकी कितनी पूजा की, परंतु आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए। भगवान जवाब देता है कि मैं तुझे पांच बार बचाने आया, कभी सरपंच के रूप में, कभी सदस्य के रूप में, कभी रक्षक के रूप में। लेकिन तुम्हारा खुद का इरादा मरने का था।
इसलिए, प्यारे देश के नागरिकों, सरकारों एवं प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभा दी है। ऐसा ना हो कि हमारी अपनी ही नियत मरने की हो। तो आइए अपने-अपने घरों में रहकर अपना और अपने देश का बचाव करें।
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