विकारो की जलाऐ होली

होली की उमंग  कविता


आओ विकारों की जलाये होली
खूब जमकर मनाये हम होली
नई फसल आने का यह पर्व है
पर हमें ओलावृष्टि का गम है
फसलों की क्षतिपूर्ति कब मिलेगी
किसानों की होली कब मनेगी
बुआ होलिका  जल भी जाओ
भक्त प्रहलाद को अब न सताओ
अंहकार को  मरना ही हो होगा
पतित को पावन बनना ही होगा
ईश्वरीय याद का रंग लगाओ
वैर, वैमनस्य,ईर्ष्या को मिटाओ।
----श्रीगोपाल नारसन


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