- जीवन क्षण भंगुर हैं फिर अभिमान किस लिए
*मेरी दुकान, मेरा फार्म हाउस, मेरा बंगला, मेरी फैक्ट्री, मेरी मिल, मेरी गाड़ी, मेरी कोठी, मेरा प्लाट, मेरा पैसा, मेरा बगीचा, मेरा अपार्टमेंट, मेरा ब्लाक, मेरा स्कूल, मेरा होटल, मेरा मन्दिर, फलां-फलां,...*
*सब कुछ देखते ही देखते लावारिस सा हो गया, आज चाह कर भी कोई इंसान अपनी इन चीजो को देखने नही जा सकता, ना ही जाना चाहता है, कोरोना का डर जो हैं साहब,...*
*आज छब्बीस दिनों से अचानक ज़िन्दगी अनमोल हो गई है, सुना तो था की आदमी मरने के बाद सब कुछ यही छोड़ कर जाता हैं, पर यहां तो सब कुछ ज़ीते जी ही छुट गया हैं,...*
*इंसान की औकात एक वायरस से लड़ने की तो है नही, फिर जरा सोचिये की इंसान इतना घमंड किस बात का करता हैं...??*🙏
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