जाने क्या है तबलीग आंदोलन
जो लोग तब्लीग मूवमेंट को नहीं जानते... वह जान लें कि 1905 में बंगाल विभाजन, 1921 में खिलाफत मूवमेंट, केरल.... विभाजन से पहले अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) से हिंदुओं को निकालने में... देश के विभाजन में... तब्लीग के लोगों का बड़ा रोल रहा है ...। तब्लीग को आम मोमिनों का सदैव से भारी समर्थन रहा है ! तब्लीग के लोग आम मोमिन ही होते हैं ...!
तब्लीग के लोग कोई अन्य ग्रह से आये हुए बाशिंदे नहीं हैं...! यह हमारे इर्दगिर्द फैले सुन्नी परिवारों के लोग होते हैं जो 'दीन के काम' में जुटे रहते हैं ! यह समझने की ज़रूरत है कि तब्लीग से जुड़े लोग आम किसान, छात्र, डाक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक तक होते हैं...! कुछ पूर्णकालिक होते हैं और कुछ अंशकालिक ! बहुत से मोमिन इस कार्य में पूरा जीवन अर्पित कर देते हैं ! आम मोमिन इनका बहुत सम्मान करता है...! इनको हर तरीके की मदद मुहैया कराई जाती है ! इस कार्य से जुड़े नौजवानों के साथ मोमिन लोग अपनी बेटियों का निकाह बड़े फख्र के साथ कर देते हैं...!
यह गौर करने की बात है कि तब्लीग के लोग सिर्फ भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार में ही क्यों पाए जाते हैं ? जहाँ धर्मपरिवर्तन की गुंजाईश होती है... वहीं तब्लीग के लोग पाये जाते हैं ! अब तब्लीग का काम इंग्लैंड, फ्रांस , जर्मनी के साथ पूरे यूरोप और अफ्रीका के ईसाई देशों में भी फैल गया है...! दरअसल दीन ए इस्लाम का पहला और आखिरी मकसद ही पूरे विश्व को निजाम ए मुस्तफा की छतरी के नीचे लाना है ! 'किताब' यही कहती है ! तब्लीग इसी काम को कहते हैं...! धर्म परिवर्तन (मज़हब परिवर्तन) के बगैर यह संभव नहीं है !
आखिरी बात...! मोमिन इलाकों में रहने वाले जानते हैं कि हर मोमिन बच्चे को तीन साल की आयु होते ही इस्लामिक आचार-व्यवहार और इस्लामिक उद्देश्यों की शिक्षा दी जाती है..! लगभग हर 'खाते-पीते' मोमिन परिवार में जहाँ छोटे बच्चे होते हैं... शाम के समय कोई मौलवी या मौलाना बच्चों को 'पढ़ाने' आते हैं...। यह मौलाना लोग तब्लीग से ही जुड़े होते हैं ! जहाँ मौलानाओं की फीस झेलने की क्षमता नहीं होती..., वह लोग अपने बच्चों को कुछ समय के लिए मदरसों में पढ़ने अवश्य भेजते हैं ! तब्लीग के काम और मदरसों की कार्यशीलता में कोई अंतर नहीं होता !
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