*जिंदगी की सच्चाई
मांगी हुई खुशियों से,*
*किसका भला होता है,*
*किस्मत में जो लिखा है,*
*उतना ही अदा होता है,*
*न डर रे मन दुनिया से,*
*यहाँ किसी के चाहने से,*
*किसी का बुरा नहीँ होता है,*
*मिलता वही, है*
*जो हमने बोया होता है,*
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