जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि


सकारात्मक सोच ही बदलती  है परिणाम 


कल सवेरे कश्मीरी लाल जी व मैं अपने परिसर में सैर कर रहे थे। विषय निकला कि यहां कमरे में बैठे-बैठे क्या किया जा सकता है?
तो कश्मीरी लाल जी ने कहा "हम अपने चिंतन के द्वारा बहुत बड़ी रचनात्मकता, सकारात्मक सोच के द्वारा खड़ी कर सकते हैं।
मैंने पूछा, "वह कैसे?"
तो उन्होंने बताया कि 1970 के दशक में मिस्र के एक बड़े नेता थे- अनवर सादत।
उन्होंने यहूदियों के खिलाफ सारे देश में एक माहौल बनाया। और जब वह बोलते थे कि "मैं किसी भी यहूदी से हाथ नहीं मिलाऊंगा, नहीं मिलाऊंगा!" तो मिस्र की जनता पूरी जनता भी दोहराने लगी और वे उनके नायक बन गए।
किंतु बाद में उनको जेल हो गई। "जेल की कालकोठरी में 3 साल तक रहना पड़ा, पर वहां उन्होंने चिंतन किया कि मेरी मानसिक स्क्रिप्ट, यह बड़ी नकारात्मक है। यह नफरत व लड़ाई की मानसिकता से भरी पड़ी है।तो इस कालकोठरी का उपयोग क्या मैं अपने को परिवर्तन करने के लिए कर सकता हूं?"
उन्होंने अपनी कल्पना शक्ति और सकारात्मक चिंतन का उपयोग किया। आखिरकार एक दिन वह जेल से निकले और मिस्र के राष्ट्रपति बने।
लेकिन अब उन्होंने अपने मन मस्तिष्क को प्रेम और रचनात्मकता से भर लिया था। वह अपनी नकारात्मकता को दूर करने में सफल हुए थे। वे इजराइल के सबसे पवित्र स्थान पर गए और उनके ही कारण से इजरायल और फिलिस्तीन में कैंप डेविड का ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ।


कश्मीरी लाल जी के कहने का अर्थ था कि यह आवश्यक नहीं कि घूम फिर कर, बड़े कार्यक्रम करके ही कोई परिवर्तन संभव है। असली परिवर्तन अपने मन मस्तिष्क में होता है। और वह यदि रचनात्मक व सकारात्मक रहा तो इतिहास कोई भी व्यक्ति बना सकता है। अगले कुछ दिन क्या हम सकारात्मक मनो रचना कर सकते हैं?
~सतीश कुमार


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