एकाकीपन से एकांतवास की ओर(पी एस चौहान शिक्षाविद)
कोरोना के कठिन समय मे सोशल डिस्टनसिंग के चलते अपने एकाकीपन को अपनी प्राचीन संस्कृति के अनुरूप एकांतवास मे बदलना सीखें । एकाकीपन और एकांतवास में बहुत अंतर है । एकाकीपन मन की नकारत्मक स्थिति है , जबकि एकांतवास एक सकारात्मक मनोदशा है । व्यक्ति भीड़ में भी अकेला महसूस कर सकता है । एकाकीपन से हम तब ग्रसित होते हैं जब समाज और अपने वातावरण से हम अपना तालमेल नही कर पाते । इसके विपरीत एकांतवास में बाहरी दुनिया पर हमारी निर्भरता ही नही होती । इस स्थिति में हम बाह्य संसार के भटकाव से मुक्त होकर अपने आप से जुड़ते हैं , अपने असली स्वरूप को पहचानते है । यह एक अंतर्यात्रा है , जो साधना की स्थिति है , आनन्द और शांति की अवस्था है । वास्तव में हमारा पूरा जीवन एकाकीपन से एकांतवास की ओर एक यात्रा ही तो है ।
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