कविता (भूख) सोमा नायर

भूख


मैनें उसे देखा था
सूनी आँखों में
पिचके गालों में
बूढ़े बचपन में


मैनें उसे लिखा था
कविताओं में
मैंने उसे गाया था
दर्द भरे गीतों में


पर मैंने उसे जाना
जब मुझे लगी
तब समझा वह
न देखी जा सकती है
न लिखी न समझाई


जब वह पेट में आती है
तभी समझ में आती है


सोमा नायर


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