मित्र पुलिस की गैरजिम्मेदार कार्यवाही

*समाज सेवा बनाम पुलिसिया अत्याचार*


एक ओर पूरा देश इस संकट से जूझ रहा है वही दूसरी ओर स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा कुछ संस्थाएं (NGO) सरकार के आह्वान पर अपने-अपने क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों में जुटी हुई है। मानव ही नहीं समाज के सहयोग से भूखे बेजुबान जीवों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करने हेतु अथक परिश्रम कर रही हैं। इस महामारी से लड़ने के लिए हरिद्वार की अधिकांश NGOS 24 घण्टे अपनी जान की परवाह किये बगैर समाज सेवा में लगीं हैं। इसके बाद भी यदि पुलिस प्रशासन द्वारा किसी संस्था के किसी सदस्य के साथ अभद्रता या बत्तमीजी की जाती है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। 


आज की ताजा घटना प्रगत भारत संस्था (रजि०) हरिद्वार के संस्थाध्यक्ष सुदीप बनर्जी लॉक डाउन के नियमों को पालन करते हुए अपने संस्था के साथियों के साथ बेजुबान जीवों के लिए सुबह से दाना-खाना देने बाद, सहयोगियों से कल हेतु ज़रूरी सामग्री इकठ्ठा करके शाम 3 से 4 के बीच अपने घर जा रहे थे। शास्त्री नगर ज्वालापुर में पुलिस वाले ने रोका और अभद्रता करते हुए बत्तीमीजी की। सुदीप बनर्जी ने बताया कि मैने उद्यान अधिकार हरिद्वार द्वारा प्रदत्त पास भी दिखाया पर उन्होंने कहा कि कोई पास वास नहीं होता और कौन है ये अधिकारी। मेरा पास भी ले लिया, और मुझे रेलवे चौकी ज्वालापुर ले जाकर मेरी गाड़ी सीज कर दी, RC होने के बावजूद भी बिना RC और DL लिख दिया । और मेरे पास जो सामग्री थी, उसे उठा कर ले जाने को कहा। जैसे तैसे करके मैं वहां से किसी तरह वो राशन सामग्री लेकर घर पहुंचा। 


आज मन बहुत आहत और परेशान भी। जब संस्थाओं का कोई मान-सम्मान ही नहीं है, फिर धरातल पर उतर कर काम क्यों किया जाए। ईमानदारी से काम करते हैं और फिर पुलिस द्वारा ऐसे अत्याचार मनोबल कमजोर कर देते हैं। आज मेरे साथ जो हुआ है कल किसी और भाई के साथ न हो, इसलिए आज की घटना आपसे साझा कर रहा हूँ। 


जिला प्रशासन से भी मेरा अनुरोध है कि इस घटना का संज्ञान लेते हुए, हमे न्याय दिलाये।


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